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दिव्यांगों के लिए मशीन लगाने नहीं दी जमीन

locationजबलपुरPublished: May 02, 2018 04:36:21 pm

Submitted by:

amaresh singh

डॉक्टरों और प्रशासन की सहमति के बाद 80 हजार में ऑडियोमीटर मशीन भी आ गई है। यह मशीन दो माह से धूल खा रही है।

Do not plant machine for Devanagans

Do not plant machine for Devanagans

कटनी। मूक बधिर बच्चों को दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाने से पहले ऑडियोमीटर प्रमाण-पत्र के लिए जबलपुर तक जाना पड़ रहा है। फरवरी माह में तत्कालीन कलेक्टर विशेष गढ़पाले की मौजूदगी में हुई बैठक में निर्णय हुआ कि ऑडियोमीटर मशीन की सुविधा जिला अस्पताल में ही उपलब्ध करा दी जाए। डॉक्टरों और प्रशासन की सहमति के
बाद 80 हजार में ऑडियोमीटर मशीन आ भी गई। यह मशीन दो माह से धूल खा रही है।

मेडिकल कॉलेज तक जाने विवश होना पड़ा
इस बीच १२ से ज्यादा दिव्यांग ऑडियोमीटर प्रमाण-पत्र बनवाने परेशान हुए और उन्हें मेडिकल कॉलेज जबलपुर तक जाने को विवश होना पड़ा। जानकारों का कहना है कि मशीन को लगाने के लिए साउंडप्रुफ कमरे के लिए जमीन की आवश्यकता पड़ेगी। जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा अस्पताल में इतनी जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा रही है और दिव्यांगों को परेशानी हो रही है। प्रमाण-पत्र के दिए जबलपुर तक जानेे वाले दिव्यांगों ने बताया कि जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र में पदस्थ इयरमोल्ड टैक्नीशियन से प्रमाण-पत्र बनवाया जा सकता है। इस मामले में जिला अस्पताल में
पदस्थ डॉ. एसके निगम द्वारा सहयोग नहीं किए जाने के कारण परेशानी हो रही है।
ऑडियोमीटर मशीन के माध्यम से मूक बधिर बच्चों का परीक्षण कर निश्चित किया जाता है कि उन्हें मशीन कितनी क्षमता की देनी है, जिससे उन्हें सुनने में परेशानी न हो।
– ऑडियोमीटर मशीन 5 मार्च को जिला अस्पताल प्रबंधन को दी गई है। इस दौरान दिव्यांग बोर्ड की बैठक 9 बार हुई। मशीन स्थापित करने कोई ध्यान नहीं दिया गया।
– मशीन को जिला अस्पताल में स्थापित करने के पीछे जिला प्रशासन का उद्देश्य था कि दिव्यांगों की परेशानी कम हो सके। ऐसा नहीं होने से दिव्यांग परेशान हैं।
जबलपुर मेडिकल कॉलेज रैफर कर रहे हैं
ऑडियोमीटर जिला अस्पताल में लग जाए तो हमें क्यों दिक्कत होगी। मशीन नहीं होने के कारण ऑडियोमीटर प्रमाण-पत्र के लिए हम फिलहाल जबलपुर मेडिकल कॉलेज रैफर कर रहे हैं। कलेक्टर लिखकर दे दें कि जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र में पदस्थ इयरमोल्ड टैक्नीशियन का प्रमाण-पत्र मान्य किया जाए तो हम
मानने लग जाएंगे।
डॉ. एसके निगम. जिला
अस्पताल कटनी
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