जबलपुरPublished: Jul 25, 2019 11:16:05 pm
prashant gadgil
हाईकोर्ट का निर्देश, जबलपुर केंद्रीय जेल में डॉक्टर्स की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा, रिक्त पदों की मांगी रिपोर्ट
allahabad High court
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि प्रदेश की जेलों में बंदियों का नियमित मेडिकल चेक-अप कराया जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय शुक्ला की डिवीजन बेंच ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस केद्रीय कारागार जबलपुर के अधीक्षक को यह बताने के लिए कहा कि चिकित्सकों के दो रिक्त पदों पर कब तक नियुक्तियां होंगी। कोर्ट ने फिलहाल जेल में चौबीस घंटे कम से कम एक चिकित्सक की सेवाएं उपलब्ध कराने को कहा।
यह है मामला
मदनमहल, जबलपुर के अधिवक्ता विजयेंद्र सिंह चौधरी ने 2018 में याचिका दायर कर की। इसमें कहा गया कि जेल में निरुद्ध बंदियों का नियमानुसार नियमित मेडिकल चेकअप नहीं किया जा रहा है। इसके चलते बड़ी संख्या में बंदी कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं। एक समाचार के हवाले से कहा गया कि 24 नवंबर 2018 को मप्र हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के सहयोग से मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डॉक्टरों ने जेल में नेत्ररोग परीक्षण कैंप लगाया। इसमें महज 185 बंदियों का नेत्र परीक्षण किया गया। जबकि जेल में लगभग 2500 बंदी निरुद्ध हैं। स्वयं पैरवी करते हुए अधिवक्ता चौधरी ने तर्क दिया कि इससे साफ जाहिर है कि जेलों में बंदियों को किस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जेल में निरुद्ध बंदियों को भी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं पाने का अधिकार है। समय-समय पर सुको ने भी इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए।
तीन पद हैं, एक ही डॉक्टर तैनात
गुरुवार को केंद्रीय कारागार जबलपुर के अधीक्षक जीपी ताम्रकार ने कोर्ट में हाजिर होकर बताया कि जेल में चिकित्सकों के तीन पद स्वीकृत हंै। लेकिन, फिलहाल केवल एक चिकित्सक पदस्थ है। इस कारण बंदियों का नियमित मेडिकल चेक-अप नहीं हो पा रहा है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि चिकित्सकों के दो रिक्त पदों पर कब तक नियुक्ति होगी। निर्देश दिए गए कि रिक्त पदों पर नियुक्तिहोने तक चिकित्सकों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। सरकार का पक्ष शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने रखा।