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डॉक्टरों की हो गई कमी, दोगुने से अधिक मरीजों की नब्ज टटोलने का भार

locationजबलपुरPublished: Mar 16, 2019 11:40:03 pm

Submitted by:

prashant gadgil

सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों से लेकर स्टाफ तक के पद खाली
 

जबलपुर। संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत अब भी बदहाल है। बढ़ती जनसंख्या की जरुरत के हिसाब से न तो सरकारी अस्पतालों का विस्तार हो रहा है और न ही डॉक्टर और सपोर्टिंग स्टाफ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिकित्सक-मरीज का 1 :1000आदर्श अनुपात तय किया है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक तय मानक से दोगुने मरीजों की हर दिन नब्ज टटोल रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक से लेकर सफाई कर्मी तक के पद बड़ी संख्या में खाली हैं। इससे सरकारी महकमे की स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह लड़खड़ा गई हैं।
जांच से स्वास्थ्य तक प्रभावित
संभाग में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों से लेकर स्टाफ नर्स और अन्य कर्मियों की संख्या निर्धारित मानक से कम होने का प्रभाव मरीजों की जांच से लेकर उनके स्वास्थ्य और देखभाल तक पड़ रहा है। मरीजों की संख्या अधिक होने और ड्यूटी के निर्धारित समय में जांच का दबाव होने के कारण चिकित्सक पीडि़त को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं। जांच की जल्दबाजी में गलतियां होने की आशंका रहती है। मरीजों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। कई बार मरीजों को जबरन दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
इस कारण बढ़ रही समस्या
संभाग में अधिकांश शासकीय स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों में समय के साथ चिकित्सक एवं सपोर्टिंग स्टाफ के पदों के समीक्षा नहीं की गई है। शहर से लेकर गांव तक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। मरीज भी लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन इस अनुपात में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, सपोर्टिंग स्टाफ और जांच के लिए आवश्यक सुविधाओं का विस्तार नहीं किया जा रहा है। इस कारण चिकित्सक, स्टाफ और मरीजों के बीच निर्धारित अनुपात का मानक लगातार गड़बड़ा रहा है।

मानक और हकीकत में फर्क

ओपीडी में 20 मरीज पर एक चिकित्सक होना चाहिए : एक चिकित्सक 40 से अधिक मरीज का उपचार कर रहे है

आइपीडी में 10 मरीज पर एक चिकित्सक होना चाहिए : एक चिकित्सक की निगरानी में 50 से अधिक मरीज है
अस्पताल में 5 मरीज की देखभाल के लिए 1 नर्स होना चाहिए : एक नर्स 20 से अधिक मरीजों की देखभाल कर रही है

अस्पताल में साफ-सफाई के लिए 3 मरीज पर 1 कर्मी होना चाहिए : साफ-सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या कम है

संभाग में इतने पद खाली
विशेषज्ञ : 492
चिकित्सक : 440
लैब टेक्नीशियन : 85
रेडियोग्राफर : 41
स्टाफ नर्स : 442
(नोट: आंकड़े मप्र विस में पिछले माह प्रस्तुत जानकारी के अनुसार)

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