जबलपुर

गांव में सेवाएं न देने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा, 6 ने भरी बॉन्ड राशि

एनएससीबीएमसी : पहले दिन आठ सदस्यीय समिति के सामने हाजिर हुए 29 डॉक्टर

जबलपुरFeb 19, 2020 / 12:29 am

shivmangal singh

poor health services

जबलपुर. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से डिग्री लेने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा की शर्त पूरी न करने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। सोमवार को ऐसे ही 29 डॉक्टर उच्चस्तरीय समिति के सामने पेश हुए। अनिवार्य ग्रामीण सेवा बांड की शर्तों के उल्लंघन को लेकर अपना पक्ष रखा।
इसमें छह डॉक्टरों ने ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा के बजाय बॉन्ड राशि जमा कर दी। कमेटी के सामने कुछ डॉक्टरों ने बॉन्ड की शर्त के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने का दावा किया। इन्हें स्वास्थ्य विभाग का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। आधे से ज्यादा डॉक्टरों के तर्क को समिति ने स्वीकार नहीं किया। इन पर कार्रवाई की जा सकती है।
लाखों रुपए दबाकर शहर में ही बैठ गए
मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2002 से 2012 के बीच प्रवेशित एवं वर्ष 2006 से 2016 तक डिग्री प्राप्त करने वाले एमबीबीएस और पीजी (एमडी-एमएस) के करीब नौ सौ छात्र-छात्राएं अनिवार्य ग्रामीण सेवा बॉन्ड का उल्लंघन के दायरे में आ रहे हैं। इन डॉक्टरों ने शर्त के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में सेवाएं नहीं दीं। बॉन्ड की राशि भी नहीं भरी और शहर में प्राइवेट प्रैक्टिस करने लगे। बॉन्ड की राशि 3-10 लाख रुपए तक है।
वर्ष 2004-05 के मामलों की सुनवाई
कॉलेज प्रबंधन ने इस मामले की जांच के लिए आठ सदस्यीय हाईपावर कमेटी बनाई है। यह कमेटी प्रतिदिन दो-दो वर्ष के छात्र-छात्राओं के प्रकरण में सुनवाई कर रही है। सोमवार को पहले दिन वर्ष 2002 और 2003 के प्रवेशित एमबीबीएस विद्यार्थियों ने पक्ष रखा। मंगलवार को 2004 एवं 2005 के विद्यार्थियों के प्रकरणों पर सुनवाई होगी। कमेटी के अनुमोदन पर इन डॉक्टरों की मेडिकल प्रैक्टिस के रजिस्ट्रेशन पर अंतिम निर्णय होगा।
यह है स्थिति
577 एमबीबीएस विद्यार्थियों ने बॉन्ड पूरा नहीं किया।
311 पीजी के विद्यार्थियों ने बॉन्ड का उल्लंघन किया।
29 विद्यार्थी इसमें अभी कमेटी के सामने पेश हुए।
06 ने इसमें बॉन्ड राशि जमा करने पर सहमति दी है।
08 को इसमें बॉन्ड पूरा करने का प्रमाण पत्र देने कहा है।
अनिवार्य ग्रामीण सेवा बॉन्ड का उल्लंघन करने वाले छात्र-छात्राओं के मामले में उनका पक्ष सुना जा रहा है। सोमवार को 29 विद्यार्थियों ने जवाब प्रस्तुत किया। इसमें आठ ने बॉन्ड की राशि जमा करने पर सहमति दी है।
डॉ. पीके कसार, डीन, एनएससीबीएमसी

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