ग्रामीणों की सेवा नहीं की करोड़ों रुपए का शुल्क भी दबा लिया
जानकारों के अनुसार मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2002 से 2018 के बीच पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को रुरल बांड के तहत दो विकल्प थे। इन्हें डिग्री पूरी करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में नियत अवधी तक स्वास्थ्य सेवा देना था। ऐसा न करने पर अनुबंध के अनुसार शुल्क कॉलेज में जमा करना था। इसके लिए विधिवत अनुमति लेना था। लेकिन डिग्री लेने के बाद छात्र-छात्राओं ने अपनी-अपनी निजी प्रेक्टिस शुरू कर दी। कुछ ने अस्पतालों में नौकरी ज्वॉइन कर ली। कॉलेज में जमा होने वाली बॉन्ड राशि भी दबा गए। ये शुल्क करोड़ों रुपए में बताया जा रहा है। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार बॉन्ड पूरा नहीं करने वाले विद्यार्थी स्वयं उपस्थित नहीं हुए तो आगे की कार्रवाई के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जाएगा।
रूरल बॉन्ड पूरा नहीं करने वाले
एमबीबीएस में..
582 विद्यार्थियों ने बांड पूरा नहीं किया
577 विद्यार्थियों ने बांड शर्तें पूरी की
( 2002 से 2016 तक के दौरान स्थिति )
पीजी डिग्री में…
311 विद्यार्थियों ने बॉन्ड पूरा नहीं किया
333 विद्यार्थियों ने बॉन्ड शर्तें पूरी की
(2006 से 2017 तक की स्थिति)