महिलाओं के दूध उतरने की भी दवा
शक्ति वर्धक टॉनिक में उपयोग में आने वाले कौच बीज, अश्वगंधा, तुलसी जैसे पौधों की खेती की जा रही है तो वहीं महिलाओं और गायों में दूध बढ़ाने के लिए चंद्रसू जैसी औषधीय पौधे दो एकड़ क्षेत्र में लगे हैं। यही नहीं हर्बल टी का भी करीब एक एकड़ क्षेत्र में उत्पादन किया जा रहा है।
इन पौधों की हो रही खेती
पार्क में सतावर, मुनगा, भुईआँवला, कालमेघ, बावची, प्रश्नपर्णी, सालपर्णी, आनोनाम्यूरीकेटा, अर्जुन, नीम, करंज तुलसी, बच, ब्राह्मी, मंडूकपर्णी, एलोवेरा, अश्वगन्धा, इस्टीविया, भं्रगराज, गिलोय, सफेद सदाबाहार, पत्थरचूर, नीबूघास, तीखुर, आमाहल्दी, पत्थरचट्टा, पुदीना आदि 24 विभिन्न प्रकार की औषधीय फसलें एवं कई प्रजातियों की खेती हो रही है।
युवाओं को दे रहा ट्रेनिंग
5 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती की ट्रेनिंग हर्बल गार्डन में 5 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती करने के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है। युवा जो कि इस सेक्टर में काम करना चाहते हैं उनके लिए यह गार्डन इनके लिए टे्रनिंग हब के रूप में सामने आ रहा है।
2017 में हुई शुरुआत
जानकारों के अनुसार जुलाई 2017 से औषधीय पार्क को विकसित किया गया था। प्रौद्योगिकी और आवश्यक तकनीकी सलाह लेने के लिए वीयू ने आयुर्वेट के साथ एमओयू साइन किया। दोनों के सहयोग से करीब दो सालों की अथक मेहनत के बाद मेडिसनल पार्क अब पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है। कई पौधे लहलहाने लगे हैं ।
– दो साल पहले मेडिसनल पार्क की आधारशिला रखी गई थी। अब यह पार्क तैयार हो गया है। इसको बनाने का उद्देश्य विवि के छात्रों, किसानों और युवाओं को औषधीय पौधों की खेती से जोडक़र आय के स्त्रोत को बढ़ाना है। इन पौधो को विक्रय करने की भी योजना है।
– डॉ. प्रयाग दत्त जुयाल, कुलपति वेटरनरी विश्वविद्यालय