scriptसूखी-सूखी सी नदियां, भीषण जलसंकट की आहट! | Dry-dried rivers, horrific floods | Patrika News

सूखी-सूखी सी नदियां, भीषण जलसंकट की आहट!

locationजबलपुरPublished: Jun 29, 2019 02:12:21 am

Submitted by:

shyam bihari

नर्मदा सहित सहायक नदियों की टूट रही धार

narmada story

narmada story

जबलपुर। घुघवा जल प्रपात गायब हो गया। आसपास वर्षों साल पुरानी चट्टानें उभर आई हैं। नर्मदा की धार पतली हो चुकी है। रेत का दूर तक नामोनिशान नजर नहीं आता। प्रदेश की जीवनधारा का ये हाल खतरे का संकेत है। लगातार तीसरे साल बने ऐसे हालात को भीषण जल संकट की आहट माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार रेत का अंधाधुंध उत्खनन नर्मदा के इस हाल का सबसे बड़ा कारण है। वर्षा जल को सहेजकर रखने वाली रेत को नर्मदा समेत सहायक नदियों की तलहटी से भी निकाल लिया गया। नतीजतन अब इन नदियों में बारिश का जल संचित नहीं रह पाता। इससे बारिश का सीजन खत्म होने के साथ ही नदियों का जलस्तर तेजी से गिरने लगता है। हिरन, गौर, परियट नदी कई स्थानों पर सूख गई हैं। उन पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है और नर्मदा की धार भी दिनोंदिन पतली होती जा रही है। तटों के आसपास रहने वाले बुजुर्ग हैरान हैं। उनका कहना है नर्मदा की इतनी दयनीय हालत पहले कभी नहीं देखी।
पैदल पार कर रहे हैं लोग

जिन तटों में सालभर पानी का तेज बहाव रहता था, वहां भी हालात ऐसे हो गई हैं लोग नदी को पैदल पार कर रहे हैं। हालांकि गहराई का अंदाजा न होने के कारण ऐसे स्थलों में दुर्घटना का भी खतरा है।

लम्हेटा घाट, घुघवा जल प्रपात के आसपास, गौ बच्छा घाट समेत नर्मदा के कई और तटों में जल स्तर लगातार घट रहा है। इससे चोई और कीचड़ की भरमार हो गई है। ग्वारीघाट और तिलवारा घाट में भी काई और फिसलन बढ़ गई है। हिरन, गौर, परियट, शेर व बाणगंगा नदी के हाल और भी चिंताजनक हैं। हिरण नदी कई स्थलों में सूख गई है।
कछार वीरान

नर्मदा, हिरन, गौर व परियट नदी के किनारे लगने वाले कछारों में हर साल वृहद स्तर पर हरी सब्जी, तरबूज-खरबूज, ककड़ी, खीरा का उत्पादन होता था। इस बार जल स्तर काफी कम हो जाने के कारण गिनती के कछारों को छोड़कर ज्यादातर वीरान हो गए हैं।
नर्मदा व सहायक नदियों में में जल स्तर नीचे जाने के साथ ही धार पतली होने का सबसे बड़ा कारण रेत की अंधाधुंध निकासी है। रेत केवल पानी का फिल्टर करने का काम नहीं करती बल्कि वर्षा के जल को सहेजकर रखती है। बरसात के बाद के दिनों में ये पानी रिस-रिस कर प्रवाह क्षेत्र को बनाए रखता है। तलहटी तक से रेत खोदकर निकाल लिए जाने के कारण ही नदियों पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।
प्रो. एचबी पालन, पर्यावरण विद्

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो