पैदल पार कर रहे हैं लोग जिन तटों में सालभर पानी का तेज बहाव रहता था, वहां भी हालात ऐसे हो गई हैं लोग नदी को पैदल पार कर रहे हैं। हालांकि गहराई का अंदाजा न होने के कारण ऐसे स्थलों में दुर्घटना का भी खतरा है।
लम्हेटा घाट, घुघवा जल प्रपात के आसपास, गौ बच्छा घाट समेत नर्मदा के कई और तटों में जल स्तर लगातार घट रहा है। इससे चोई और कीचड़ की भरमार हो गई है। ग्वारीघाट और तिलवारा घाट में भी काई और फिसलन बढ़ गई है। हिरन, गौर, परियट, शेर व बाणगंगा नदी के हाल और भी चिंताजनक हैं। हिरण नदी कई स्थलों में सूख गई है।
कछार वीरान नर्मदा, हिरन, गौर व परियट नदी के किनारे लगने वाले कछारों में हर साल वृहद स्तर पर हरी सब्जी, तरबूज-खरबूज, ककड़ी, खीरा का उत्पादन होता था। इस बार जल स्तर काफी कम हो जाने के कारण गिनती के कछारों को छोड़कर ज्यादातर वीरान हो गए हैं।
नर्मदा व सहायक नदियों में में जल स्तर नीचे जाने के साथ ही धार पतली होने का सबसे बड़ा कारण रेत की अंधाधुंध निकासी है। रेत केवल पानी का फिल्टर करने का काम नहीं करती बल्कि वर्षा के जल को सहेजकर रखती है। बरसात के बाद के दिनों में ये पानी रिस-रिस कर प्रवाह क्षेत्र को बनाए रखता है। तलहटी तक से रेत खोदकर निकाल लिए जाने के कारण ही नदियों पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।
प्रो. एचबी पालन, पर्यावरण विद्