scriptदोहरी सफाई व्यवस्था फेल, पूरा शहर बना कचरे का डंपिंग ग्राउंड | Dual cleaning system fails, complete city-made garbage dumping ground | Patrika News

दोहरी सफाई व्यवस्था फेल, पूरा शहर बना कचरे का डंपिंग ग्राउंड

locationजबलपुरPublished: Aug 28, 2018 01:40:33 am

Submitted by:

sudarshan ahirwa

हीलाहवाली: हर महीने आठ करोड़ रुपए खर्च, फिर भी कचरे से पटे गली-मोहल्ले

Dual cleaning system fails, complete city-made garbage dumping ground

Dual cleaning system fails, complete city-made garbage dumping ground

जबलपुर. सफाई में जबलपुर को नं 1 बनाने का अभियान चलाया गया। जमकर ढिंढोरा पीटा गया कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से शहर साफ सुथरा हो जाएगा। कहीं भी कचरे का ढेर नजर नहीं आएगा पर नगर निगम प्रशासन के दावों की हवा निकल गई है। शहर में कचरे का अम्बार लगा है। कचरे का ढेर, बजबजाती गंदगी के आगे निगम प्रशासन की दोहरी सफाई व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है। सफाई से लेकर, फॉगिंग व अन्य कार्यों पर निगम 8 करोड़ रुपए के लगभग हर महीने खर्च कर रहा है। जानकारों के अनुसार निगम का निगरानी तंत्र लचर है। जबकि दावा किया जाता है कि शहरभर में सुबह से लेकर दोपहर 2 बजे तक सफाई की जा रही है। व्यवसायिक क्षेत्रों में शाम को भी कचरे की साफ किया जा रहा है।
वार्डों में तैनात सफाईकर्मी तैनात किए गए है वे समय पर पहुंचे या नहीं, कितनी देर काम किया ये देखने वाला कोई नहीं है। जिम्मेदारों का कहना है कि इसके लिए सीएसआई व सुपरवाइजर तैनात है पर उनमें से भी ज्यादातर खानापूर्ति कर रहे हैं। जबकि हर वार्ड में सफाईकर्मियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराए जाने का दावा किया जाता है। सूत्रों के अनुसार बड़ी संख्या में सफाईकर्मी ऐसे हैं जिनको दूसरे विभागों में अटैच कर दिया गया है।
इंदौर व भोपाल से पिछडऩे के पीछे दलील

पटरी से उतरी सफाई व्यवस्था के मामले में अपनी नाकामी स्वीकार करने के बजाय निगम के जिम्मेदार ये दलील दे रहे हैं कि उनके पास इंदौर, भोपाल जितने संसाधन नहीं हैं। इतना ही नहीं वे ये भी कहते हैं कि उन दोनों ही शहरों में स्वच्छता लोगों के कार्य व्यवहार में आ चुकी है। जबलपुर में लोग सड़क, नाली, सार्वजनिक स्थान पर कचरा फै लाते हैं।
ऐसी है तस्वीर
सीन 1: शहर के सबसे घने रहवासी व व्यवसायिक इलाकों में शुमार मिलौनीगंज में जगह-जगह कचरे का ढेर लगा है, जो सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहा है।
सीन 2: मोतीनाला इलाके में मुख्य सड़क से लेकर गलियों में कचरा बजबजा रहा है। कई जगह तो कचरा सड़ांध मार रहा है और दुर्गंध के कारण आसपास लोगों का खड़े होना मुश्किल है।
सीन 3: कई धार्मिक स्थल होने के कारण खेरमाई वार्ड क्षेत्र शहरवासियों की आस्था का बड़ा केन्द्र है। लेकिन यहां भी सफाई व्यवस्था ठप है और कचरे का ढेर लगा है।
सीन 4: श्रीनाथ की तलैया क्षेत्र शहर के बीचों बीच है। आसपास शहर का मुख्य बाजार व रहवासी क्षेत्र हैं। इसके बावजूद यहां जगह-जगह कचरा नजर आ
रहा है।

संसाधनों की स्थिति
216 वाहन ठेकेदार के
158 वाहन निगम के डोर डू डोर कचरा कलेक्शन में
200 के लगभग कुल वाहन सफाई व्यवस्था में
ठेकेदार के भरोसे
जोन 1 के 2 वार्ड
जोन 5 के 3 वार्ड
जोन 6 के 9 वार्ड
जोन 9 के 4 वार्ड
10 नं जोन के 10 वार्ड
जोन 11 के 6 वार्ड
जोन 14 के 2 वार्ड
जोन 15 के 7 वार्ड
सफाई व्यवस्था ठप
मदनमहल चौराहा क्षेत्र गढ़ा
धनवंतरि नगर अधारताल
ग्वारीघाट तिलवाराघाट

बजट में कमी नहीं
86 करोड़ था पिछले साल निगम के स्वास्थ्य विभाग का बजट
94 करोड़ मौजूदा वर्ष में निगम के स्वास्य विभाग का बजट
सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। पहले के मुकाबले स्थिति मेंं सुधार हुआ है। लेकिन संसाधनों की कमी के साथ ही लोगों का कार्य व्यवहार भी शहर में कचरा फैलने का बड़ा कारण है। जिसमें बदलाव लाने हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
जीएस चंदेल, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो