जबलपुर

इस कारण जबलपुर शहर में आ रहा है तेंदुआ

वन विभाग ने अपनाया ये तरीका

जबलपुरApr 08, 2019 / 10:27 pm

abhimanyu chaudhary

leopard

जबलपुर, जबलपुर के शहरी आबादी में आए दिन तेंदुए की दस्तक हो रही है। एेसे क्षेत्रों में लोग चिंतित और परेशानी है्रं। जबकि, हकीकत यह है कि इसमें तेंदुए का कुनबा गुनहगार नहीं है। बल्कि अधिकारियों की उदासीनता के कारण वन्य प्राणियों को रहवास खराब हो गया है। वन्य प्राणियों और इंसान की टकराहट पर पड़ताल की करती पत्रिका की रिपोर्ट पढ़ें-

शहरी क्षेत्र से लगे हुए जंगल बंजर हो गए हैं। चारे के लिए घास के मैदान और प्यास बुझाने के लिए जलस्रोत का अभाव है। इस कारण जंगली जानवर शहर की ओर दस्तक दे रहे हैं। जंगल में उचित प्रबंधन नहीं होने के कारण एेसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। शाकाहारी वन्य प्राणियों के इधर-उधर भटकने के कारण तेंदुए भी कॉलोनियों के आसपास दिख रहे हैं। परेशानी बढ़ी है तो वन विभाग ने अब वन भूमि में घास के मैदान एवं जलस्रोत बनाने का प्रयास शुरू किया है।

जंगली जानवरों के लिए सारा जंगल उनका है। लेकिन, जंगली जानवरों की बाहुल्यता वाले जंगल का स्वामित्व कई विभागों के बंटा हुआ है। डुमना नेचर रिजर्व एवं आसपास के क्षेत्रों में जंगलों में उचित प्रबंधन के लिए कई विभागों की सीमा का पेंच है। नगर निगम के डुमना नेचर रिजर्व के पहले जबलपुर रेंज हैं और एयरपोर्ट साइड पनागर रेंज। जबकि, सड़क के एक ओर नेचर रिजर्व और दूसरी ओर सैन्य क्षेत्र का जंगल है। सैन्य क्षेत्र के जंगलों में बनाई गई टंकियों में पानी नहीं है तो १०५८ हेक्टेयर के डुमना नेचर रिजर्व में कंक्रीट का जंगल ज्यादा बढ़ गया है और घासे कम हो रही है। वहीं डुमना नेचर रिजर्व के गदेहरी व जैतपुरी बीट के ११ सौ हेक्टेयर वन भूमि भी बंजर है।
डुमना नेचर रिजर्व के एयरपोर्ट की ओर गदेहरी, पारसपानी, ककरतला, जैतपुरी, खरहरघाट के किनारे वन विभाग का ११ सौ हेक्टेयर जंगल है। पारसपानी व खरहर घाट के समीप गौर नदी के आसपास पेड़-पौधे हरे हैं। जबकि, अन्य क्षेत्रों में न हरियाली है और न ही जलस्रोत। वन विभाग ने जैतपुर में एक प्राकृतिक जलस्रोत की सफाई कराई है। गदेहरी के पास एक स्थान पर एक किसान की बोरिंग से जलस्रोत का प्रबंध किया गया है।


एक्सपर्ट कमेंट
रिटायर रेंजर एबी मिश्रा ने बताया, घास और जलस्रोत की कमी से शाकाहारी वन्य प्राणी इधर-उधर भटक रहे हैं। इस कारण तेंदुए भी आबादी की ओर आ रहे हैं। घास का मैदान, जलस्रोत बनाने की योजना अच्छी है।

करेंगे प्रयास
जंगली जानवरों के आबादी में घुसने के कारणों पर मंथन किया जा रहा है। जो क्षेत्र वन भूमि नहीं है, उसमें वन विभाग कोई कार्य नहीं कर सकता है। डुमना नेचर रिजर्व से लगे हुए जंगल घास के मैदान और नए जलस्रोत बनाने के लिए रेंजरों की बैठक बुलाई गई है।
रवींद्र मणि त्रिपाठी, डीएफओ

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