ये है देश की सबसे पुरानी रामलीला
संस्कारधानी जबलपुर में जब रामलीला की शुरुआत हुई थी तब आयोजन समिति मिट्टी तेल के भभके की रोशनी में रामलीला का मंचन कराती थी। इसके बाद पेट्रोमैक्स की रोशनी में रामलीला का सजीव मंचन होने लगा था। 67 साल बाद सन् 1932 में जबलपुर में बिजली और पहली बार रामलीला मंचन बल्ब की रोशनी में किया गया। लाइट की रोशनी में मंचन देखने का लोगों में इतना उत्साह था कि मंच के पास आने तक के लिए लोगों को जगह नहीं मिलती थी।
तीन चार दिन का डेरा
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्रति लोगों की आस्था कही जाए या फिर मंचन देखने का उत्सा कि लोग यहां तीन से चार दिन तक डेरा डाले रहते थे। रामलीला देखने के लिए क्षेत्रीय लोग शाम से ही अपने घरों से बोरियां, टाट व दरी आदि मंच के आस-पास बिछा आते थे। ताकि मंचन के समय उन्हें आसानी से बैठने की जगह मिल जाए।
ऐसे हुई शुरुआत
मिलौनीगंज में डल्लन महाराज की प्रेरणा से रामलीला की शुरूआत हुई। रेलमार्ग न होने से शहर का व्यापार मिर्जापुर से होता था, जो कि मिर्जापुरा रोड भी कहलाता था। इसी मार्ग से बैलगाडिय़ों में माल लाया व ले जाया जाता था। इन्हीं व्यापारियों में मिर्जापुर के व्यापारी लल्लामन मोर जबलपुर आते रहते थे। उनके करीबी लोगों में डल्लन महाराज सबसे ऊपर थे। उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए रामलीला मंचन की बात रखी। जिस पर डल्लन महाराज ने खुलकर सहयोग दिया। उनके साथी रज्जू महाराज ने भी विशेष रुचि ली और सन् 1865 में पहली बार छोटा फुहारा स्थित कटरा वाले हनुमान मंदिर के सामने गोविंदगंज रामलीला का मंचन हुआ। रामलीला मंचन का उद्देश्य भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र से लोगों को प्रेरणा देना एवं सामाजिक व धार्मिक कुरीतियों में सुधार लाना था।
दशहरा और रावण के पुतले को देखते आते हैं दूर-दूर से लोग
अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा समारोह भी जबलपुर में पूरी भव्यता से मनाया जाता है। सदर, पंजाबी, रांझी, अधारताल, विजय नगर, गढ़ा में अगले तीन दिन तक दशहरा की धूम रहेगी। पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले पंजाबी दशहरे का इस वर्ष भी भव्य आयोजन हुआ। इस बार इसका आयोजन ग्वारीघाट स्थित आयुर्वेद कॉलेज मैदान में किया गया। 69वें पंजाबी दशहरे में इस बार रावण और कुंभकरण की 55 फीट ऊंचे पुतले बनाए गए। पंजाबी दशहरे में पूरे देश से लोग जबलपुर पहुंचते हैं। नवमी के मौके पर हर बार पंजाबी हिन्दू एसोसिएशन द्वारा इसका आयोजन किया जाता है। इस खास मौके पर रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति भी देखने को मिली. जबकि आतिशबाजी ने सभी दर्शकों का उत्साह बढ़ाया।