scriptडस्टबिन के मॉडल बदलते रहे सार्वजनिक स्थल नहीं हो सके कचरा मुक्त | Dustbin's model kept changing, public spaces could not be garbage free | Patrika News

डस्टबिन के मॉडल बदलते रहे सार्वजनिक स्थल नहीं हो सके कचरा मुक्त

locationजबलपुरPublished: Oct 17, 2019 11:41:51 am

Submitted by:

Prabhakar Mishra

डस्टबिन के मॉडल बदलते रहे सार्वजनिक स्थल नहीं हो सके कचरा मुक्त रोज
सड़क और फु टपाथ पर लग जाता है कचरे का ढेर, स्वच्छता लीग २०२० का लक्ष्य सामने
फै क्ट फाइल-
-८५० स्पॉट पर लगाई थीं डस्टबिन
-१७०० थी डस्टबिन की संख्या(जोड़ी में होने के कारण)
-८० प्रतिशत से ज्यादा स्थानों पर टूटीं या गायब हुईं टोकरी
-कुछ स्पॉट पर कचरा टोकरी के केवल एंगल ही बचे स्मार्ट डस्टबिन गिनती के स्पॉट पर लगीं-
-रिसाइकल, अनरिसाइकल व अन्य कचरे के लिए तीन डिब्बे लगाए
-५ फीट की डस्टबिन, १५ फीट का स्थल विज्ञापन के लिए

dustbin placement vastu tips hindi

dustbin placement vastu tips hindi

ग्राउंड रिपोर्ट-

जबलपुर। वीआईपी इलाकों में कचरे का ढेर लग रहा है। रिहायशी क्षेत्रों से लेकर सड़क व फु टपाथ पर कचरा इक_ा हो रहा है। बाजारों में रोज कचरे का ढेर लग जाता है। दरअसल नगर निगम डस्टबिन के मॉडल तो बदलता रहा, लेकिन आज तक शहर को आवश्यकता के अनुपात में मजबूत व टिकाऊ डस्टबिन उपलब्ध ही नहीं कराई गईं। जिसके कारण सार्वजनिक स्थलों पर रोज कचरे का ढेर लग जा रहा है। स्वच्छता रैंकिं ग में हर बार जबलपुर फिसड्डी साबित हो रहा है।स्वच्छता लीग २०२० का लक्ष्य सामने है। इसके बावजूद नगर निगम कोई सबक नहीं ले रहा है।
स्मार्ट सिटी आई तो गायब हुए कं टेनर-

कचरा इक _ा करने के लिए चार पहले तक सभी वार्डों में लोहे के बड़े कं टेनर रखने की व्यवस्था थी। स्मार्ट सिटी योजना लांच होनके बाद ये व्यवस्था खत्म कर दी गई। उनकी जगह लोहे के स्टैंड पर प्लास्टिक की छोटी-छोटी डस्टबिन लगाना शुरू कर दिया गया। फिछले तीन साल में दो बार लगाई गई इनमें से ज्यादातर डस्टबिन कबाड़ी तोड़कर ले गए। कई स्पॉट पर टूटी हुई डस्टबिन रह गईं तो कुछ जगह केवल स्टैंड ही बचा है।
पीपीपी मोड स्कीम फे ल-

निगम ने पीपीपी मोड पर शहर में स्मार्ट डस्टबिन लगाने की पहल की। इसके तहत विज्ञापन एजेंसी को डस्टबिन लगाने के एवज में विज्ञापन के लिए भी जगह मुहैया कराई गई। लेकिन गिनती के स्पॉट पर ही डस्टबिन लगने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया। दरअसल शहर के प्राइम लोकेशन में महज ५ फीट पर डस्टबिन लगाने के एवज में एजेंसी को पंद्रह फीट तक की जगह विज्ञापन के लिए दे दी गई थी। इतना ही नहीं स्मार्ट डस्टबिन के नाम पर टीन के डिब्बे रखे जा रहे थे। विरोध शुरू होने पर स्मार्ट डस्टबिन लगाने का काम ठंडे बस्ते में चला गया।
वर्जन-

शहर की सफाई व्यवस्था को सुधारने संभागीय अधिकारियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग के सभी संबंधित अधिकारियों को फील्ड पर सक्रिय रहने निर्देशित किया है। कचरा सार्वजनिक स्थानों पर न फै ले इसके लिए जिन स्थानों पर डस्टबिन नहीं है वहां भी डस्टबिन की व्यवस्था की जाएगी। आशीष कुमार, आयुक्त, नगर निगम
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो