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इन अर्थशास्त्री ने बताया सहकारिता को संजीवनी

locationजबलपुरPublished: May 08, 2020 08:54:50 pm

Submitted by:

shyam bihari

इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के सीनियर अस्स्टिेंट प्रोफेसर डॉ. आशीष शर्मा
 

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जबलपुर। लॉकडाउन में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के उद्योगों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उद्योगपति इस पर मंथन कर हैं कि किस तरह फिर से गाड़ी पटरी पर लाई जाए। वे अपने सलाहकारों से भी बात कर रहे हैं। इस स्थिति में पत्रिका भी हर वर्ग के लिए सेतु का काम कर रहा है। इस विषय में जबलपुर के रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक डॉ. आशीष शर्मा से वीडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा हुई। डॉ. शर्मा का कहना है कि छोटे उद्योगों के संचालक आपस में सहयोग यानि सहकारिता का सूत्र अपनाएं तो उनका काम आसान हो जाएगा।

प्रो. शर्मा ने कहा कि अर्थव्यवस्था में एमएसएमई सेक्टर का 70 से 75 फीसदी का योगदान रहता है। ऐसे में ये उद्योग जब शुरू होंगे तो उनकी स्थिति वैसी होगी जैसे कोई व्यक्ति बीमारी से ठीक होने के बाद उठता है। सरकार, बैंक और आरबीआई को जो करना है वो करेंगे। जितना पैकेज मिला है वह अर्थव्यवस्था के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। इसलिए उद्योगपति को खुद ऐसा प्रबंधन करना पडेग़ा जिसमें जोखिम न हो।
यह दिए सुझाव
-उद्योगपति अपने पड़ोसी को प्रतिस्पर्धी नहीं मानें, बल्कि उसे मित्र बनाएं। छह महीने या एक साल के लिए एक-दूसरे के साथ काम करें।
-एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाना पडेग़ा। मशीन एवं श्रमिकों का उपयोग आपस में कर सकते हैं।
-छोटे उद्योगों की पूंजी कम होती है। उद्योग में लागत घटाना जरूरी है।
– अभी की स्थिति में कुछ प्रदेश एवं देश ऐसे हैं जहां कोरोना का संक्रमण नहीं है। उन्हें नया बाजार क्षेत्र बनाया जा सकता है।

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