प्रो. शर्मा ने कहा कि अर्थव्यवस्था में एमएसएमई सेक्टर का 70 से 75 फीसदी का योगदान रहता है। ऐसे में ये उद्योग जब शुरू होंगे तो उनकी स्थिति वैसी होगी जैसे कोई व्यक्ति बीमारी से ठीक होने के बाद उठता है। सरकार, बैंक और आरबीआई को जो करना है वो करेंगे। जितना पैकेज मिला है वह अर्थव्यवस्था के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। इसलिए उद्योगपति को खुद ऐसा प्रबंधन करना पडेग़ा जिसमें जोखिम न हो।
यह दिए सुझाव
-उद्योगपति अपने पड़ोसी को प्रतिस्पर्धी नहीं मानें, बल्कि उसे मित्र बनाएं। छह महीने या एक साल के लिए एक-दूसरे के साथ काम करें।
-एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाना पडेग़ा। मशीन एवं श्रमिकों का उपयोग आपस में कर सकते हैं।
-छोटे उद्योगों की पूंजी कम होती है। उद्योग में लागत घटाना जरूरी है।
– अभी की स्थिति में कुछ प्रदेश एवं देश ऐसे हैं जहां कोरोना का संक्रमण नहीं है। उन्हें नया बाजार क्षेत्र बनाया जा सकता है।