जानकारी के अनुसार जनपद शिक्षा केंद्र ग्रामीण, जबलपुर के लेखापाल विक्रम सिंह चौहान ने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा से शिकायत की थी कि विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसी) ठाकुर प्रसाद पटेल उनसे 12 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे हैं। इस पर एसपी लोकायुक्त विश्वकर्मा ने पटेल की गिरफ्तारी की रणनीति बनाई। रणनीति के तहत रिश्वत की पहली किस्त छह हजार रुपये देना तय किया गया। ऐसे में निर्धारित स्थल पर चौहान, शिक्षाधिकारी को रिश्वत देने पहुंचे। उधर लोकायुक्त पुलिस ने जाल बिछा लिया था। चौहान ने जैसे ही शिक्षाधिकारी पटेल को छह हजार रुपये दिए लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। हालांकि लोकायुक्त की गिरफ्त में आते ही शिक्षाधिकारी ने ने रुपये फेंक दिए साथ ही लोकायुक्त टीम से उलझ गए। इस पर लोकायुक्त अधिकारियों ने कड़ी चेतावनी दी जिस पर वो शांत हुए।
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता लेखापाल चौहान ने एसपी लोकायुक्त को बताया था कि शिक्षाधिकारी, छात्रहित में लागू शिक्षा विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी करने पर आमादा थे। इसके तहत वो नियमविरुद्ध तरीके से विभिन्न मदों में बिल बनवाकर भुगतान के लिए दबाव बना रहे थे। इसके बदले में वो 60 फीसद कमीशन की मांग कर रहे थे। वैसे चौहान को भी एक मामले में नोटिस जारी किया गया था। ऐसे में शिक्षाधिकारी पटेल फर्जी बिल बनवाने का दबाव बनाते हुए पूर्व में जारी नोटिस का निस्तारण करने का प्रलोभन भी दिया था, जिसके एवज में उन्होंने 12 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी।
शिक्षाधिकारी की गिरफ्तारी में डीएसपी दिलीप झरबड़े, निरीक्षक कमल सिंह उईके, निरीक्षक आस्कर किंडो, आरक्षक अतुल श्रीवास्तव, जुबेद खान, विजय बिष्ट, जीत सिंह आदि शामिल रहे। “लेखापाल की शिकायत पर बीआरसी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया है। शासन की योजनाओं में प्राप्त बजट व उसके उपयोग का भी पता लगाया जाएगा। आय से अधिक संपत्ति की जांच कराई जाएगी।”-अनिल विश्वकर्मा, एसपी,लोकायुक्त