scriptघपला-घोटाले का नया खेल, मृतकों के नाम से जारी हो गए प्रशिक्षण प्रमाणपत्र | Education training certificate issued in name of deceased | Patrika News

घपला-घोटाले का नया खेल, मृतकों के नाम से जारी हो गए प्रशिक्षण प्रमाणपत्र

locationजबलपुरPublished: Jun 24, 2021 12:52:24 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-वेतन बिल जारी होते ही हुआ खुलासा- विरोध होने पर कॉलेज प्रशासन ने शुरू कराई जांच

PSM

PSM

जबलपुर. घपला-घोटाला रग-रग में समा गया है। नकली इंजेक्शन का घोटाला, मेडिकल यूनिवर्सिटी में अनुपस्थित विद्यार्थियों को उत्तीर्ण करने का घोटाला, इन सभी की पड़ताल चल ही रही है कि अब मृतकों के नाम से शैक्षिक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जारी होने के नया घोटाला प्रकाश में आया है। इसे लेकर हल्ला हंगामा और विरोध शुरू हो गए हैं। संबंधित कॉलेज के प्राचार्य को निलंबित करने की मांग की जा रही है। उधर घोटाला उजागर होने के बाद प्राचार्य इसे मानवीय भूल बता रहे हैं।
बता दें कि शिक्षकों को अध्यापन के गुर सिखाने के लिए सरकार उन्हें प्रशिक्षण दिलाती है। इसके लिए बाकायदा प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय (पीएसएम) है। इसी महाविद्यालय में फिलहाल 470 शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार शिक्षकों को प्रशिक्षण देने वाले प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य ने कुछ उन नामों के भी प्रशिक्षण प्रमाण जारी कर दिए जिनकी कोरोना के चलते मृत्यु हो गई है। ऐसे चार नाम हैं जिनके नाम से शिक्षण प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। प्राचार्य की ओर से जारी प्रमाण पत्र में उन सभी को उपस्थित बताया गया है जिनकी कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो चुकी है। अब इस सूची के जारी होने के बाद से हंगामा मचा है। इतना ही नहीं, प्राचार्य स्तर से उपस्थिति दर्ज होने के बाद अब इन्हें वेतन भुगतान भी होने वाला था। सैलरी बिल में उपस्थिति दर्ज होने पर ही घोटाले का खुलासा हुआ। जिन चार मृतकों को प्रशिक्षण में उपस्थित दर्शाया गया है उनमें गंगा राम रजक, धनपत सिंह ठाकुर और दुर्गा विसेन के अलावा एक अन्य हैं।
प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय में दो साल का प्रशिक्षण दिया जाता है। 15 अप्रैल से 16 मई के बीच तीनों शिक्षकों की उपस्थिति वेतन पत्रक में दर्शायी गई है, जबकि शिक्षक गंगाराम रजक की 17 अप्रैल, दुर्गा बिसेन की 26 अप्रैल और धनपत सिंह ठाकुर की 3 मई की कोरोना के चलते मौत हो चुकी है। इसके पहले वे कोविड से बीमार होकर अस्पताल में भी भर्ती हुए होंगे, लेकिन कहीं सीएल या मेडिकल नहीं दर्शाया गया है। एक शिक्षक का 40 से 50 हजार के लगभग वेतन जारी होता है।
शिक्षक कर्मचारी नेता मुकेश सिंह के मुताबिक नियमानुसार दिन में चार पीरियड है, तो तीन में शामिल होने पर ही पूरे दिन का वेतन बनता है। दो पीरियड में शामिल हुए, तो आधे दिन का वेतन बनता है। इसी तरह सीएल, मेडिकल आदि भी शिक्षक लेते रहते हैं, उसका भी जिक्र होना चाहिए। यहां सभी को उपस्थित दर्शा दिया जाता है। उपस्थिति पर भी 5 नंबर मिलते हैं। नियम है कि पढ़ाने वाले शिक्षक वेतन पत्रक तैयार कर प्राचार्य को भेजते हैं। वहां से हस्ताक्षर कर इसे संकुल भेजा जाता है। तब प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों का वेतन जारी होता है।
उपस्थिति पंजिका में उपस्थित दर्ज मृत शिक्षक
इस बात का खुलासा उपस्थिति पत्रक में कोरोना से मृत शिक्षकों के भी नाम दर्ज होने के बाद हुआ। कोरोना से दिवंगत हुए शिक्षकों की उपस्थिति पत्रक में नाम देखकर कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत कलेक्टर और कमिश्नर से की गई। लोग पीएसएम के प्राचार्य आरके स्वर्णकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने प्राचार्य के इस कारनामे पर रोष जताते हुए आरोप लगाया है कि घोटालेबाजी में हमेशा लिप्त रहने वाले प्राचार्य ने काली कमाई करने के लिए ही मृत हुए शिक्षकों की उपस्थिति दर्शाई है। कर्मचारी नेताओं ने पीएसएम के प्राचार्य आरके स्वर्णकार द्वारा पूर्व में किए गए घोटालों की जांच कर उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। प्राचार्य पर पूर्व में रद्दी बेचने और भवन निर्माण में घपलेबाजी के आरोपों भी लग चुके हैं।
मानवीय भूलवश हुआ है, जांच कराई जा रही है

उधर मामले का खुलासा होने के बाद कॉलेज के प्राचार्य आरके स्वर्णकार का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। सभी संबंधितों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने इसे मानवीय त्रुटि बताया है। साथ ही कहा है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो