scriptजबलपुर-दमोह मार्ग सुधारने के लिए उठा रहे प्रभावी कदम | Effective steps being taken to improve the Jabalpur-Damoh route | Patrika News

जबलपुर-दमोह मार्ग सुधारने के लिए उठा रहे प्रभावी कदम

locationजबलपुरPublished: Sep 21, 2020 07:20:00 pm

Submitted by:

prashant gadgil

राज्य सरकार का हाईकोर्ट को जवाब, राज्य की अन्य सड़कों में भी होगा काम

High court

हाईकोर्ट

जबलपुर. राज्य सरकार की ओर से सोमवार को महाधिवक्ता पीके कौरव ने हाईकोर्ट के समक्ष बताया कि जबलपुर-दमोह सड़क के निर्माण व सुधार के लिए सरकार प्रभावी कदम उठा रही है। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि राज्य की अन्य सड़कों का भी निरीक्षण होगा। जहां भी निर्माण या सुधार की जरूरत होगी, सकारात्मक रूप से किया जाएगा। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर मामले की अगली सुनवाई 9 नवम्बर नियत की।
यह है मामला
हटा, दमोह निवासी डॉ. विजय बजाज व संदीप बजाज की ओर से 2016 में यह जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि एमपीआरडीसी ने जबलपुर से दमोह के बीच सड़क बनाने व मेंटेनेंस का ठेका 7 अगस्त 2009 को मुंबई की मेसर्स एस्सेल जबलपुर दमोह टोल रोड प्रालि को दिया। सड़क बदहाल हो चुकी है, उसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसके कारण चलना मुश्किल हो रहा है। ठेके की शर्त के अनुसार सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। खस्ताहाल सड़क के बावजूद कंपनी टोल नाके लगा कर आने-जाने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूल कर रही है। इसकी शिकायत एमपीआरडीसी से की गई। यहां तक कि पथरिया के तत्कालीन विधायक लखन पटेल ने यह मामला विधानसभा में भी उठाया था लेकिन तत्कालीन परिवहन मंत्री रामपाल ने गोलमोल जवाब दे कर विषयांतर कर दिया था। हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एसई ने अपनी रिपोर्ट सड़क के गड्ढों के फोटोग्राफ्स के साथ पेश की थी। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर जमकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा था। एमपीआरडीसी के एमडी, लोक निर्माण विभाग व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री की रिपोर्ट साफ कह रही कि सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। आखिर इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं । कोर्ट ने जवाब मांगा था। सोमवार को महाधिवक्ता पीके कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने जवाब पेश किया। कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता एनएस रूपराह उपस्थित रहे।

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