बारिश में प्रदेश के जल विद्युत गृहों से बिजली के उत्पादन का ग्राफ बढ़ जाता है। वहीं जल विद्युत गृहों से भी लगातार उत्पादन होता है। इसके अलावा अन्य उपक्रमों से भी प्रदेश को भरपूर बिजली मिलती है। जबकि बिजली की डिमांड इन दिनों कम रहती है। इसीलिए अतिरिक्त बिजली की बैंकिंग की जाती है।
जहां बैंकिंग, वहां से उधार भी मिल जाती है बिजली बिजली की बैंकिंग रबी सीजन के लिए की जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यदि बैंकिंग की गई बिजली समाप्त हो जाए, तो सम्बंधित राज्य उधार में भी बिजली दे देता है। हालांकि यह उधार ली गई बिजली नियत समय में वापस करनी होती है।
दो हजार मेगावॉट तक मिली
जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में रबी सीजन के दौरान प्रदेश में बिजली की मांग ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था। उस दौरान प्रतिदिन दो हजार मेगावॉट बैकिंग की गई बिजली वापस ली गई थी।
प्रदेश में अतिरिक्त बिजली- 2600 मेगावॉट लगभग वर्ष 2020 में की गई थी बैंकिंग- 417 करोड यूनिट
वर्ष 2021 में की गई थी बैंकिंग- 400 करोड़ यूनिट लगभग वर्ष 2022 में बैकिंग का प्रयास- 450 करोड़ यूनिट लगभग
बैंकिंग का गणित
वर्ष 2021 में की गई थी बैंकिंग- 400 करोड़ यूनिट लगभग वर्ष 2022 में बैकिंग का प्रयास- 450 करोड़ यूनिट लगभग
बैंकिंग का गणित
– 400 करोड़ रुपए सालाना होते हैं खर्च
– 1.25 रुपए प्रति यूनिट खर्च होते हैं वापस लेने पर – 04-06 रुपए प्रति यूनिट है बिजली खरीदी की दर यहां की जाती हैं बैंकिंग- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और छत्तीसगढ़
बैकिंग की जाती है- मार्च से अक्टूबर
प्रदेश में अतिरिक्त बिजली- 2600 मेगावॉट लगभग
– 1.25 रुपए प्रति यूनिट खर्च होते हैं वापस लेने पर – 04-06 रुपए प्रति यूनिट है बिजली खरीदी की दर यहां की जाती हैं बैंकिंग- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और छत्तीसगढ़
बैकिंग की जाती है- मार्च से अक्टूबर
प्रदेश में अतिरिक्त बिजली- 2600 मेगावॉट लगभग
वर्ष 2020 में की गई थी बैंकिंग- 417 करोड यूनिट
वर्ष 2021 में की गई थी बैंकिंग- 400 करोड़ यूनिट लगभग वर्ष 2022 में बैकिंग का प्रयास- 450 करोड़ यूनिट लगभग
बैंकिंग का गणित – 400 करोड़ रुपए सालाना होते हैं खर्च
– 1.25 रुपए प्रति यूनिट खर्च होते हैं वापस लेने पर
वर्ष 2021 में की गई थी बैंकिंग- 400 करोड़ यूनिट लगभग वर्ष 2022 में बैकिंग का प्रयास- 450 करोड़ यूनिट लगभग
बैंकिंग का गणित – 400 करोड़ रुपए सालाना होते हैं खर्च
– 1.25 रुपए प्रति यूनिट खर्च होते हैं वापस लेने पर
– 04-06 रुपए प्रति यूनिट है बिजली खरीदी की दर यहां की जाती हैं बैंकिंग- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और छत्तीसगढ़
बैकिंग की जाती है- मार्च से अक्टूबर वापस ली जाती है- नवम्बर से फरवरी
बैकिंग की जाती है- मार्च से अक्टूबर वापस ली जाती है- नवम्बर से फरवरी