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इंजीनियरिंग कॉलेजों के बाद इन संस्थानों में ताला लटकने की नौबत, मेडिकल सेक्टर का बुरा हाल

locationजबलपुरPublished: Oct 08, 2019 12:17:26 am

Submitted by:

deepankar roy

रोजगार की कमी के चलते इस साल प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आयी

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जबलपुर. इंजीनियरिंग कॉलेजों के बाद मेडिकल एजुकेशन सेक्टर का भी बुरा हाल है। इस साल प्रदेश में आयुष कॉलेजों की हालत खस्ता है। आधे-अधूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ खोले जाने वाले संस्थान और रोजगार में कमी के चलते आयुष की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी घट रहे है। आलम ये है कि स्टेट नीट आयुष काउंसिलिंग- 2019 के मॉपअप राउंड के बाद स्नातक की करीब एक हजार सीटें खाली है। कई कॉलेज प्रवेश के लिए छात्र-छात्राओं को ढूंढ रहे है। पर्याप्त व्यवस्था और सुविधाओं के बिना चल रहे कॉलेजों से पढकऱ निकल रहे विद्यार्थी डिग्री लेकर भटक रहे है। इससे कुछ प्राइवेट आयुष कॉलेजों में ताला लटकने की नौबत बन रही है।

वहीं गड़बड़ी और लापरवाही

आयुष कॉलेजों में भी वहीं गड़बड़ी और लापरवाही बरती जा रही है जो इंजीनियरिंग कॉलेजों में हुई। जानकारों के अनुसार कुछ समय में कई नए निजी आयुष कॉलेज शुरु हुए है। इनमें पर्याप्त बुनियादी सुविधा नहीं है। योग्य शिक्षकों का अभाव है। प्रशिक्षण के लिए अस्पताल में अपेक्षाकृत मरीजों की संख्या कम है। इन संस्थानों में पढऩे वाले विद्यार्थी पाठ्यक्रम के अनुरुप तैयार नहीं हो पा रहे है। सरकारी रोजगार नहीं मिलने पर निजी क्षेत्र में कम कीमत पर काम करने मजबूर है। या फिर बेरोजगार है।
निजी की स्थिति खराब

आयुष पाठ्यक्रमों का संचालन करने वाले निजी संस्थानों की स्थिति बेहद खराब है। जानकारों के अनुसार इस साल प्रवेश प्रक्रिया के पहले दो चरणों में कई निजी कॉलेजों का खाता ही नहीं खुला। आयुर्वेद कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति में मॉपअप राउंड तक सुधार हुआ। लेकिन निजी क्षेत्र के होम्योपैथी कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्र-छात्रा ढूंढे नहीं मिल रहे है। शहर में ही सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में महज एक सीट रिक्त है। प्राइवेट कॉलेजों में तकरीबन आधी सीटें खाली है।
प्रदेश में…

41 आयुष कॉलेज संचालित

38 कॉलेज के पास मान्यता

03 हजार 120 सीटें है इनमें

01 हजार के करीब सीटें खाली

पाठ्यक्रम

बीएएमएस,

बीएचएमएस,

बीयूएमएस,

बीएनवाईएस

शहर में…

04 आयुष कॉलेज है

03 के पास मान्यता

275 सीटें है इसमें

01 सौ से ज्यादा खाली

जॉब के लिए कुछ करने की जरुरत

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे के अनुसार जिस हिसाब से आयुष कॉलेज खोले गए, उसके अनुसार जॉब की निश्चितता नहीं है। करीब पांच वर्ष की पढ़ाई के बाद भी रोजगार नहीं मिलने के कारण विद्यार्थी आयुष कॉलेजों में प्रवेश लेना नहीं चाहते है। शासन को घोषणाओं से ऊपर उठकर आयुष चिकित्सकों के लिए गंभीर निर्णय करने की जरुरत है। नहीं तो ये भी इंजीनियरिंग कॉलेजों की तरह बंद होंगे।

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