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सिवनी एसपी वाहन चोरी गैंग की जांच मॉनिटर करने में अक्षम, डीजीपी खुद करें मॉनिटरिंग

locationजबलपुरPublished: Aug 02, 2022 11:37:03 am

Submitted by:

Rahul Mishra

मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि सिवनी जिले में वाहन चोरी गैंग की वारदातों की जांच करने के लिए प्रथम दृष्टया सिवनी एसपी अक्षम हैं। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने कहा कि पुलिस के प्रति जनता का विश्वास कायम रखने के लिए जरूरी है कि डीजीपी स्वयं इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग करें।बेंच ने कोर्ट के समक्ष झूठ बोलने वाले एसआई सतीश उइके को किसी भी मामले की जांच के लिए अयोग्य ठहराया।

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हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, झूठ बोलने पर कोतवाली एसआई सतीश उइके के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
जबलपुर।
मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि सिवनी जिले में वाहन चोरी गैंग की वारदातों की जांच करने के लिए प्रथम दृष्टया सिवनी एसपी अक्षम हैं। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने कहा कि पुलिस के प्रति जनता का विश्वास कायम रखने के लिए जरूरी है कि डीजीपी स्वयं इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग करें।
एसआई पर करो कार्रवाई-
बेंच ने कोर्ट के समक्ष झूठ बोलने वाले एसआई सतीश उइके को किसी भी मामले की जांच के लिए अयोग्य ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए वे एसआई के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहते, इसलिए सिवनी एसपी खुद उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करें। इसकी रिपोर्ट एक माह में कोर्ट को दी जाए।

यह है मामला-
सिवनी जिले में लगातार हो रही वाहन चोरी की घटनाओं की जांच में गैंग की करतूत होने की बात सामने आई। इस मामले के एक आरोपी उप्र के प्रतापगढ़ निवासी मुस्तकीम उर्फ कल्लन खान की ओर से जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में दायर की गई थी। इसी की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सिवनी कोतवाली टीआई महादेव प्रसाद नागोतिया की मौजूदगी में एसआई व जांच अधिकारी सतीश उइके ने बताया कि एक वाहन चोरी में फर्जी फास्टैग का उपयोग किया गया था। फास्टैग संगेपु चक्रधर के नाम पर था।। वह फास्टैग को ट्रेस कर आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम गया। वहां संगेपु की पत्नी अश्वनी मिली। उसने बताया कि उसके नौकर सुब्बाराव ने चोरी की और उनका फास्टैग उपयोग किया।
इस पर कोर्ट ने पूछा कि बिना अनुमति के नौकर ने कैसे फास्टैग उपयोग किया। इसके लिए संगेपु को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। एसआई ने बताया कि संगेपु तथा नौकर सुब्बाराव फरार है। कोर्ट के पूछने पर पहले तो एसआई उइके ने कहा कि उनका फरारी पंचनामा बनाया गया। लेकिन पंचनामा मांगने पर वह बगलें झांकने लगा। उसने कहा कि डूंडासिवनी थाना पुलिस की टीम ने पंचनामा बनाया होगा। लेकिन वह पंचनामा पेश नहीं कर सका।
कोर्ट हुई नाराज-
एसआई उइके की इस हरकत पर कोर्ट ने जोरदार नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष झूठ बोलने से उक्त जांच अधिकारी ही नहीं, पुलिस का चेहरा भी उजागर होता है। आजकल ऐसे बहुत मामले कोर्ट के समक्ष आ रहे हैं, जिनसे स्पष्ट होता है कि पुलिस अधिकारी या तो जांच करने में अक्षम हैं। या फिर अपने निहित हितों के चलते समुचित जांच नहीं करते। कहा कि मातहत पुलिस अधिकारियों के कृत्य के लिए महकमे का मुखिया होने के नाते डीजीपी जवाबदेह हैं। लिहाजा, वे स्वयं इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग करें। सिवनी एसपी इस जांच के अयोग्य प्रतीत होते हैं। कोर्ट ने आदेश की प्रति डीजीपी को भेजने के निर्देश दिए। उधर, याचिकाकर्ता के वकील विशाल विंसेंट डेनियल के वापस लेने के आग्रह पर कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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