नियमानुसार निगम के बाजार में नशे से सम्बंधित सामग्री का विक्रय नहीं हो सकता। इसके बावजूद निगम की 11 दुकानों से शराब बेची जा रही है। वर्ष 2015 में इन दुकानों का आवंटन रद्द होने के बाद भी निगम की संपत्ति में बेखौफ शराब दुकानें चल रही हैं। सूत्रों की मानें तो शराब कारोबारियों के रसूख के आगे निगम प्रशासन कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
हर साल हो रहा आवंटन
शराब दुकानों की नीलामी के समय हर साल आबकारी विभाग को यह सुनिश्चित करना होता है कि ठेकेदार ने दुकान का उपयुक्त स्थान बताया है या नहीं। लेकिन, पिछले चार साल से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
अपील समिति को लेना था निर्णय
बाजार अधिरीक्षक दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि नगर निगम एक्ट के अनुसार निगम की दुकानों में नशे से सम्बंधित किसी भी सामग्री का विक्रय नहीं किया जा सकता। नगर में मौजूद उन सभी दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया गया है, जिनमें शराब का कारोबार संचालित था। इसके बाद से इन दुकानों से निगम को कोई किराया नहीं मिल रहा है। दुकान खाली कराने का फैसला निगम की अपील समिति को लेना था। अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
उक्त दुकानों के सम्बंध में नगर निगम से जानकारी लेंगे। माफिया कोई भी हो, उसके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस कार्य में जिला प्रशासन निगम प्रशासन को पूरा सहयोग करेगा।
भरत यादव, कलेक्टर