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जबलपुर के विधि छात्र रौनक यादव ने पूर्व मुख्यमंत्रियों दिग्विजय सिंह , उमा भारती को सरकार द्वारा निःशुल्क आवास की सुविधा दिए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। इसमें इस नीति को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई थी। मामले के लम्बित रहने के दौरान सरकार ने मप्र मंत्री (वेतन एवम भत्ते का अधिकार) अधिनियम में संशोधन कर दिया था।
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सरकार ने कोर्ट को बताया था कि अब यह सुविधा पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन निःशुल्क कर दी गई है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विपिन यादव ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि यह संविधान में दिए गए समानता के मूल अधिकार का हनन है। इस तर्क से सहमत होकर सरकार की ओर से गलती मानी गई। कोर्ट को अभिवचन दिया गया कि 20 दिनों के भीतर मप्र मंत्री (वेतन एवम भत्ते का अधिकार) अधिनियम संशोधन 2017 को वापस ले लिया जाएगा। इसके लिए आवश्यक संशोधन की प्रकिया की जाएगी। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को 4 हफ्ते की मोहलत दे दी।