पोकलेन, जेसीबी से बर्बाद कर रहे नर्मदा नदी के तटबंध, धार पर मंडरा रहा खतरा
भटौली में नर्मदा पर निर्माणाधीन पुल के नीचे सड़क का निर्माण करा रहे ठेकेदार की मनमानी

जबलपुर. एनएच-१२ ए और एनएच-७ को जोडऩे वाले बाइपास मार्ग पर नर्मदा नदी के दोनों किनारों (तटबंध) को पोकलेन व जेसीबी मशीनों से खोदा जा रहा है। भटौली में नर्मदा पर निर्माणाधीन पुल के ठीक नीचे नियम विरुद्ध उत्खनन व मिट्टी के परिवहन से १०-१५ मीटर लम्बे और ५ मीटर गहरे गड्ढे हो गए हैं। इससे नर्मदा के प्राकृतिक प्रवाह की दिशा बदलने की आशंका भी जताई जा रही है। भटौली के लोगों ने बताया, १५-२० दिनों से पुल के दोनों किनारों पर मशीनों से मिट्टी खोदी जा रही है। सूत्रों के अनुसार सड़क निर्माण करा रही बीआर गोयल कम्पनी और अन्य ठेकेदारों द्वारा खुदाई की जा रही है।
इससे मंडला के छोर वाले किनारे दो स्थानों पर पांच से सात मीटर गहरे और दस मीटर चौड़े तथा पांच-छह स्थानों पर छोटे-छोटे गड्ढे हो गए हैं। गुरैयाघाट वाले किनारे पर भी पोकलेन व जेसीबी से उत्खनन हो रहा है।
ये हैं नियम
नर्मदा तट के ३०० मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का कच्चा या पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता।
तटों के १०० मीटर के दायरे में मिट्टी का उत्खनन है प्रतिबंधित।
एक दर्जन से अधिक ट्रक
लोगों ने बताया कि मिट्टी की खुदाई और परिवहन के लिए एक दर्जन ट्रक लगाए गए हैं। ट्रकों के आवागमन के लिए पुल के बगल से अस्थाई कच्चा रास्ता भी बनाया गया है।
ईको सिस्टम होता है प्रभावित
नदी के तटबंघों को काटने या खोदने से उसका ईको सिस्टम (प्राकृतिक दशा) बदलता है। जलीय जीव-जंतुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नदी का प्राकृतिक प्रवाह बदलने की आशंका भी बढ़ जाती है।
डॉ. एसके खरे, वैज्ञानिक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जबलपुर
उत्खनन की जानकारी नहीं
अवैध उत्खनन के लिए दोषियों पर मामला दर्ज किया जाता है। माइनिंग एक्ट में सजा का प्रावधान नहीं है। रॉयल्टी का ३० गुना तक जुर्माना लगाया जाता है। भटौली में मिट्टी के उत्खनन की जानकारी नहीं है।
प्रदीप तिवारी, उप संचालक, जबलपुर, माइनिंग
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