जबलपुर

अधर में है एनआरआई कोटे में प्रवेश फर्जीवाड़ा की जांच, जानिए क्या है कारण

फर्जी प्रवेश की जांच से पहले मिली राहत, एमबीबीएस 2016-17 में प्रवेश का मामला
 

जबलपुरDec 28, 2017 / 09:39 am

abhimanyu chaudhary

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जबलपुर. राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के प्रवेश में फर्जीवाड़ा उजागिर होने के बाद जांच अधर में रह गई। जानकारों के अनुसार प्रवेश में आ रहे फर्जीवाड़े के दौर में एमबीबीएस के रूके हुए परिणाम जारी होने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग की जांच शुरू होने में संशय है। परिणाम जारी होने के बाद जांच के लिए बढ़ रहा दबाव कम हो जाएगा। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद ने शपथ पत्र के आधार पर एमबीबीएस 2016-17 के रोके गए परीक्षा परिणाम जारी करने का निर्णय लिया है। जबकि, नामांकन की जांच में इनमें ज्यादातर छात्र-छात्राएं एेसे मिले हैं, जिन्होंने गोदनामा दर्शाकर प्रवेश लिया है। एनआरआई अभिभावक और उनके सरनेम में भी अन्तर है। जबकि, नियम के अनुसार प्रवेशार्थी स्वयं एनआरआई होना चाहिए।
मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने २२ नवम्बर को एमबीबीएस परीक्षा परिणाम जारी किया गया। प्रथम दृष्टया अपात्र पाए जाने वालों के परिणाम रोक दिए गए थे। यूनिवर्सिटी ने प्रवेश लेने वाली संस्था चिकित्सा शिक्षा विभाग और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र भेजकर जानकारी दी लेकिन प्रवेश के वैधता की जांच नहीं शुरू की गई। फिर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट के जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर बेंच में कैविएट दाखिल किया था ताकि छात्र-छात्राओं को कोर्ट में जाने के बाद यूनिवर्सिटी का पक्ष भी सुना जाए। कार्यपरिषद की बैठक में छात्र हित का हवाला देते हुए शपथ पत्र के आधार पर परिणाम जारी करने का निर्णय लिया गया। जबकि, वर्तमान सत्र 2017-18 में डीएमई के जांच में एमबीबीएस के 94 प्रवेश अवैध पाए गए हैं, जिन्हें निरस्त कर दिया है। वर्ष 2016-17 में एनआरआई कोटे के जिन 179 छात्र-छात्राओं के परिणाम रोके गए हैं, उनमें एमसीआई ने साक्षी मेडिकल कॉलेज गुना के 25 प्रवेश को पहले ही अवैध कर दिया है। गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के एक और अमलतास मेडिकल कॉलेज भोपाल के १६ छात्र-छात्राओं का नाम डीएमआई द्वारा जारी सूची में नहीं है।
एमबीबीएस प्रवेश का मामला
197 के परीक्षा परिणाम रोके गए हैं
25 को एमसीआई ने बाहर किया है
154 के एनआरआई दस्तावेज नहीं है
18 का परिणाम अन्य कारणों से रोका है

और कोर्स भी में पकड़ा है फर्जीवाड़ा

मेडिकल यूनिवर्सिटी ने डीएमई का आवंटन पत्र न होने पर एमडीएस के ८० छात्र-छात्राओं का नामांकन निरस्त कर दिया है। जबकि, एनआरआई कोटे की जांच में एमडीएमएस के ३७, एमडीएस के १४, बीडीएस के पांच छात्र-छात्राओं के दस्तावेज अपूर्ण पाए गए हैं। एमबीबीएस के शपथ पत्र के आधार पर परिणाम जारी करने के निर्णय के बाद डेंटल कॉलेजों के छात्रों ने भी शपथ पत्र के विकल्प तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी है। जबकि, पूर्व के दो वर्षों की जांच के लिए डीएमई ने मेडिकल यूनिवर्सिटी को छात्र-छात्राओं की सूची ही नहीं दी है।
 

एनआरआई कोटे के प्रवेश के मामले में जांच की जाएगी। इस सम्बन्ध में डीएमई से बात करेंगे। फर्जी तरीके से प्रवेश लेने वालों को बाहर किया जाएगा।

शिव शेखर शुक्ला, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा, भोपाल
शपथ पत्र के आधार पर सभी छात्र-छात्राओं का परिणाम एक साथ जारी नहीं किया जाएगा। जिनका प्रवेश प्रथम दृष्टया अवैध होगा, उनके परिणाम जारी करने से पहले डीएमई का पत्र मांगा जाएगा।

डॉ.आरएस शर्मा, कुलपति , मेडिकल यूनिवर्सिटी
 

 

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