ऐसा ही एक मामला जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में भी समाने आया, जिसके सामने आते ही अस्पताल में हडकंप मच गया। दरअसल यहां एक 10वीं पास युवक कई दिनों से अस्पताल में ही लोगों का इलाज कर उनसे पैसे ऐंठ रहा था।
जानकारी के अनुसार नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में शुक्रवार की दोपहर उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक 23 वर्षीय युवक दबोचा गया। सुरक्षा गार्डों के हत्थे चढ़े युवक का नाम सनी चक्रवर्ती है जो कि 10 वीं पास है। पहले युवक ने खुद को डॉक्टर बताया जब विश्वास नहीं हुआ तो सुरक्षा कर्मियों ने उससे डिग्री मांगी तो वह घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा।

मेडिकल सुरक्षा एजेंसी के विकास नायडू ने जानकारी देते हुए बताया कि बहुत समय से एक युवक पर सुरक्षा गार्ड नजर रखे हुए थे। वह रोजाना स्टेथिस्कोप पहनकर मेडिकल पहुंचता था। पीजी डॉक्टर होने के कारण लोगों का भी ध्यान नहीं जाता था। हरकतों को देखकर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। शुक्रवार को सूचना मिली कि ओपीडी नंबर 4 में उक्त युवक सनी चक्रवर्ती मरीजों का इलाज कर रहा है।
सुरक्षा एजेंसी के गौरव जैन, पंकज दुबे और जितेंद्र सिंह के साथ ओपीडी नंबर 4 पहुंचकर देखा तो युवक मरीजों का इलाज कर रहा था, जिसे पकड़कर मेडिकल के किसी विभाग में होने की बात पूछी गई तो वह घबरा गया। जब डिग्री मांगी गई तो वह झल्ला उठा, सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह डॉक्टर नहीं है वसूली करने के लिए फर्जी डॉक्टर बनकर मेडिकल अस्पताल पहुंचता था।
पकड़े गए फर्जी डॉक्टर के मामले में खुलासा हुआ कि मरीजों को इलाज के नाम पर ठगी करने के गोरखधंधे में सोनू चौधरी भी शामिल है। जो फर्जी वार्ड ब्यॉय बनकर मरीजों के परिजनों से मिलता था और उन्हें उचित और जल्दी इलाज का आश्वासन देकर उनसे पैसे ऐंठता था।
उक्त युवक के पास से जांच में 9 हजार 500रुपए बरामद हुए। ऐसी भी आशंका व्यक्त की गई है कि कहीं यह पैसा उसने मरीजों को ठग कर कमाया तो नहीं है। पूछताछ में उसने इसे अपना पैसा होना बताया है। मामले की जानकारी लगने पर मेडिकल अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने गढ़ा थाने में मामला दर्ज कराया। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर पत्तासाजी करने में जुटी है।