निराश होकर वापस लौटना पड़ा
ग्राम पुरैनी निवासी दयाराम यादव ने समर्थन मूल्य में गेहूं की उपज बेची थी। गुरुवार को किसान पैसा लेने जिला सहकारी बैंक पहुंचा तो ताला लटका मिला। तेज धूप में 20 किमी दूरी से आए किसान को निराश होकर वापस लौटना पड़ा। इसी तरह से ग्राम लखपतेरी निवासी 80साल के सीताराम यादव ने भी गेहंू की उपज बेची थी। बुधवार को ऑटो बुक करके पैसा लेने आए थे, लेकिन ताला बंद व हड़ताल का बैनर टगा देख निराश हो गए। बुजुर्ग ने बताया कि खेती के लिए कुछ लोगों से कर्ज लिया था। प्री-मानसून ने भी दस्तक दें दी है। खाद-बीज भी खरीदना था, लेकिन बैंक बंद देख आगे वे कुछ और बोल नहीं सके। मायूस होकर लौट गए।
तीन दिन से हड़ताल पर बैठे हैं
सातवें वेतन मान की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से हड़ताल पर बैठे जिला सहकारी बैंक कर्मचारियों ने किसानों को मुसीबत में डाल दिया है। किसानों को दिन में पैसा देने का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का किया गया दावा भी फेल हो गया। बैंक में जमा किसानों के पैसे से समितियां ब्याज कमा रही हैं। बैंक कर्मचारियों के हड़ताल के कारण जिलेभर के 8 हजार 200 किसानों का धान बेचने का लगभग सवा दो सौ करोड़ रुपया बैंक में फंस गया है। जिलेभर के 20 हजार 571 किसानों का जिला सहकारी बैंक में खाता है। किसानों को 42 करोड़ 15 लाख 265 रुपये गेहूं के बोनस का मिलना है। शासन द्वारा इनके खातों में राशि भी आ गई, लेकिन हड़ताल की वजह से ये किसान राशि नहीं निकाल पा रहे हैं। चक्कर लगाकर लौट रहे है। दूसरी ओर, तीसरे दिन भी हड़ताल पर बैठे बैंक कर्मचारियों ने कहा कि शासन द्वारा जब तक सातवां वेतनमान देने का आदेश जारी नहीं किया जाता है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।