किसानों का कहना था कि धान, उरद एवं चने के भुगतान अभी तक न मिलने से जिले के किसान अत्यधिक संकट में हैं। वह शादी विवाह, घर के खर्चे, अपनी बोई हुई फसल के लिए खाद, दवाई, सिचाई का इंतजाम नही कर पा रहा है। बड़ी जद्दोजहद, धक्के खाने के बाद जैसे तैसे उसने अपनी धान सरकार को थमाई , अभी भी सैकड़ो किसानों को तुलाई के बाद भी तुलाई पर्ची नही मिल पा रही। न परिवहन हो पा रहा हैं। हजारों क्विंटल माल खुले में पड़ा है। महीनों से किसान उसकी तकवारी करने केंद्रों में पड़े रहने मजबूर है। भुगतान की बात तो अभी कोशो दूर है।
आगामी गेहूं उपार्जन के पंजीयन अभी तक प्रारम्भ न होने व अधिकांश समितियां ब्लैक लिस्ट होने तथा पंजीयन में अनेकों कठनाइयों से वह परेशान है। अंतिम तिथि 22 फरवरी है, कैसे वह पंजीयन करा पायेगा। वह घबराहट में है। कर्ज माफी में भी वह अनेको विषमताओं, भाँतियो में उलझा हुआ हैं। आधार कार्ड में सुधार करना उसके लिए कठिन हो रहा है, कही जाति, कहीं जन्म तारीख में गड़बड़ी, जरा सी स्पेलिंग मिस्टेक के कारण आवेदन नही लिए जा रहे हैं,बैंकों के खाते से उनके वास्तविक ऋण का मिलान नही हो रहा है। बैंकों ने उनके ऋण राशि में हेरा- फेरी व अनेको गड़बड़ियां की हैं। उन्हें चक्कर पर चक्कर लगाने जगह- जगह भटकना पड़ रहा है,