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कर्ज से मिले मुक्ति, दिया जाए लाभकारी मूल्य

locationजबलपुरPublished: Jun 06, 2018 06:45:59 pm

Submitted by:

deepankar roy

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के दस दिवसीय किसान आंदोलन के क्रम में जिले में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनों का दौर जारी है

farmers protest latest news

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नरसिंहपुर । राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के दस दिवसीय किसान आंदोलन के क्रम में जिले में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनों का दौर जारी है। किसान संघ की संाईखेड़ा विकासखंड इकाई द्वारा मंगलवार को संाईखेड़ा में विरोध प्रदर्शन किया गया। यहां किसान संघ के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर किसानों की मांगों को लेकर कर्ज मुक्ति और लाभकारी मूल्य प्रदान किये जाने की मंाग दोहराई। इस दौरान सांईखेड़ा में किसी भी अप्रिय स्थिति के मददेनजर सुरक्षा इंतजाम भी तगड़े नजर आये।


हाट बाजार प्रभावित हुए हैं
उल्लेखनीय है विगत एक जून से आरंभ हुए इस आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले हाट बाजार प्रभावित हुए हंै। बीते शनिवार को किसानों ने जहां तेदूखेड़ा और डोभी में प्रदर्शन कर विरोध जताया वहीं राजमार्ग चौराहे पर भी किसानों द्वारा आंदोलन के तहत प्रदर्शन किया जा चुका है। किसानों के इस आंदोलन को लेकर प्रशासन और पुलिस विभाग अलर्ट है।


सब्जियों की आवक कम रही
इस मौके पर राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के संभाग अध्यक्ष देवेंद्र पटेल,जिला उपाध्यक्ष बृजमोहन कौरव,ब्लॉक उपाध्यक्ष सत्येंद्र चौधरी, जिला कोषाध्यक्ष हनुमत सिंह राजपूत, ब्लॉक मंत्री जीवन राजपूत, पृथ्वीराज,चौधरी जितेंद्र गुर्जर सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे। नरसिंहपुर सहित जिले की सभी सब्जी मंडियों में सब्जियों की आवक काफी कम रही। सब्जियों के दामों में भी तेजी रही बाहर से आने वाली सब्जियों की आपूर्ति काफी कम हो रही है जबकि फलों की आवक बनी हुई है।


किसानों को घाटा हुआ
प्रमुख किसान नेता डॉ. संजीव चांदोरकर ने कहा है कि नरसिंहपुर कृषि उपज मंडी में माह मई में चने की आवक कुल 27883 क्विंटल रही जिसमे से सरकारी खरीद समर्थन मूल्य पर मात्र 9909 क्विंटल रही जो 4400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया। इस हेतु किसान को कितनी जिल्लत उठाना पड़ी उसका कोई ठिकाना नहीं। शेष 17974 क्विंटल मंडी में व्यापारियों ने औसतन 3400 रुपए की दर से खरीदा इस तरह 1000 क्विंटल कम कीमत में अपनी फसल बेचारे किसान को बेचना पड़ी। उसे तकरीबन 17974000 करोड़ यानी पौने दो करोड़ रुपयों से ज्यादा का घाटा हुआ। कमोबेश सभी मंडियों की यही स्थिति है। शासन की गलत नीति,भ्रष्ट कार्यप्रणाली किसान विरोधी सोच का नतीजा है यह संस्थागत लूट। जहां तक सरकारी भुगतान की बात है वह अभी तक पूरा नहीं हुआ। किसान परेशान हैं कर्ज के बोझ तले दिन प्रतिदिन दबता चला जा रहा है।

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