जबलपुर। 19 जून को फादर्स डे मनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा अर्थात नर्मदा नदी का प्रताप दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। ये सर्वविदित तथ्य है कि नर्मदा में खुद को शुद्ध करने स्वयं गंगा भी आती हैं। और इनके दर्शन मात्र का पुण्य है। ठीक वैसे जैसे गंगा में स्नान का। ऐसे में आप इतनी पावन और पुण्य सलिला के पिता के बारे में जरूर जानना चाहेंगे। जी हां, आज हम आपको नर्मदा की उत्पत्ति के संबंध में कुछ रोचक बातें बता रहे हैं।
नर्मदा को मैकलसुता भी कहा जाता है अर्थात ‘मैकल’ मतलब शिव और ‘सुता’ मतलब पुत्री। पुराणों में इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि शिव के माथे से गिरे पसीने की एक बूंद से नर्मदा का उद्गम हुआ। इसलिए इन्हें शिव की पुत्री अर्थात मैकलसुता के नाम से पूजा जाता है।
महारूपवती नर्मदा
नर्मदा, समूचे विश्व में दिव्य व रहस्यमयी नदी है, इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड़ में किया है। इस नदी का प्राकट्य ही विष्णु द्वारा अपने विभिन्न अवतारों में किए राक्षस-वध के प्रायश्चित के लिए अमरकण्टक के मैकल पर्वत पर भगवान शंकर द्वारा 12 वर्ष की दिव्य कन्या के रूप में किया गया था। महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस नदी से निकलने वाला हर पत्थर भगवान शंकर के शिवलिंग के रूप में निकलता है। जो बिना प्राण प्रतिष्ठा किए ही पूजा जाते हैं।
दुर्लभ जड़ी बूटियां
इस पर्वत पर देवों का वास है। यहां ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं जो आमतौर पर पूरे देश में नहीं मिलतीं और उन्हें खोजने और उन पर रिसर्च करने विदेशों से भी विशेषज्ञ व शोधार्थी आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का बेहतरीन नजारा यहां हर रोज देखने मिलता है। जड़ी बूटियों का समावेश होने की वजह से ही मेडिकल साइंस के लिए ये पर्वत अत्यंत ही उपयोगी माना जाता है।
सुंदर नगरी
मैकल पर्वत के बीचों बीच ही बसी सुंदर नगरी अमरकंटक। जिसे मां नर्मदा के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है। विंध्याचल पर्वत की श्रेणियां मैकल पर्वत से निकलते हुए रत्नागिरी आंध्रप्रदेश तक पहुंचती है। बताया जाता है कि इस स्थान पर पूरे साल रात के वक्त ठंडक महसूस की जाती है। ठंड के दिनों में नजारा इतना अद्भुत होता है कि प्रकृति प्रेमी विदेशों से भी यहां इन दृश्यों को देखने आते हैं।
पवित्र नदियां
नर्मदा के साथ ही यहां से जोहिला और सोणभद्र नद भी बहते हैं। कहा जाता है कि मां नर्मदा के प्रताप से किसी भी तरह की दुर्लभ जड़ी-बूटी यहां आसानी से मिल जाती है। हालांकि पर्वत का जंगली क्षेत्र अत्यंत ही घना होने की वजह से यहां जाने में सावधानी बरती जाती है।