क्रूरतम और नंगा सत्य
कोर्ट ने कहा कि बच्ची के लिए यह उसकी वास्तवविक जिंदगी का घिनौना सच है। उसके पिता ने उसकी रक्षा करने के बजाय वर्षों तक उसके कोमल बचपन को लूटकर, उसके बचपन की स्मृतियों एवं अंतरमन में जीवन की कडवाहट व यातनापूर्ण यादें प्रतिस्थापित कर दी। पिता पुत्री का कन्यादान करता है व उसका रक्षक कहलाता है। इस पिता ने इस धारणा को तोड़ दिया है कि पिता रक्षक है। अपितु वह तो घर की सुरक्षित चारदीवारी के अंदर उसका भक्षक बन गया। यह निकृष्टतम नैतिक अपराध ही नहीं, मानवता के प्रति क्रूरतम अपराधों का सरताज है। इसमें विश्वास, रक्षा, सम्मान इत्यादि मूल्य वेदी पर चढ गए। यह सुस्थापित मूल्य की ‘नारी तुम केवल श्रद्धा हो’ के घोर विरोधाभास में क्रूरतम और नंगा सत्य है।
इसने बेटी के साथ दुराचार किया है... यह मानवता के प्रति क्रूरतम अपराधी है
पाटन सत्र न्यायाधीश ने कहा, अपनी पुत्री से दुराचार करने वाले पिता को जीवन की आखिरी सांस तक सश्रम कारावास

यह है मामला-
अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संदीप जैन ने कोर्ट को बताया कि 30 सितंबर 2020 को पीड़ित ने पाटन थाने में लिखित आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि उसकी मां का 15 साल पहले देहांत हो गया। उसका पिता एक साल से उसके साथ बलात्कार करता है। कहता है कि किसी को बताया तो जान से मार देगा और काट के फेंक देगा। उसने परिवार को बताया, लेकिन किसी ने सहयोग नहीं किया। तब वह परेशान होकर अपने भाई के साथ थाने में रिपोर्ट करने आई। उक्त शिकायत पर पाटन थाने में आरोपी पिता के खिलाफ धारा 376, 376(2)एन, 452, 506 भादवि एवं 3, 4, 5, 7, 8 पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषसिद्ध करार देते हुए उसके शेष जीवनकाल के लिए सश्रम कारावास की सजा व 11 हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया।