रेरा ने भी कसी नकेल
रियल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट (रेरा) आने के बाद से सरकारी निर्माण एजेंसियों से लेकर बिल्डरों पर पैनी नजर रखी जा रही है। ताकि, उपभोक्ता को न्याय मिल सके। टाउनशिप निर्माण से पहले पंजीयन व प्रोजेक्ट पूरा होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र अनिवार्य होने के कारण निर्माण एजेंसियों व रियल एस्टेट कारोबारियों को निर्माण कार्य में पारदर्शिता रखनी पड़ रही है।
इस प्रकार होती थी मास्टर प्लान व नियमों की अनदेखी
– ऊं चे भवनों के लिए भूमि विकास नियम के प्रमुख प्रावधान (जिनक ा नहीं होता था ठीक ढंग से पालन)
– प्लॉट के ३० प्रतिशत क्षेत्र में किया जा सकता है निर्माण
– १२ मीटर मार्ग चौड़ा होने पर प्लॉट के, सामने की ओर ७.५ मीटर खुला रखना होता है। जबकि, बगल में छह मीटर खुला रखने का प्रावधान है।
– १८ मीटर मार्ग की चौड़ाई होने पर प्लॉट के सामने नौ मीटर क्षेत्र खुला रखने का प्रावधान, बगल में छह मीटर खुला रखना होता है।
– २४ मीटर मार्ग की चौड़ाई होने पर प्लॉट के सामने १२ मीटर खुला रखने का प्रावधान, बगल में ७.५ मीटर खुला रखने का प्रावधान
– ३० मीटर मार्ग की चौड़ाई होने पर प्लाट के सामने व ७.५ मीटर बगल में खुला रखने का प्रावधान
– ३६ मीटर मार्ग की चौड़ाई होने पर प्लॉट में १८ मीटर सामने की ओर व ९ मीटर बगल में खुला रखने का प्रावधान
– ४५, ६० व ७५ मीटर मार्ग की चौड़ाई होने पर प्लॉट में सामने व बगल में खुला क्षेत्र छोडऩे का प्रावधान है
रियल एस्टेट सेक्टर में एफडीआई आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे फ्लोर इंडेक्स में सुधार आएगा।
– धीरेश खरे, अध्यक्ष क्रे डाई जबलपुर
एफडीआई आने से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निर्माण कार्य होगा, गुणवत्ता बेहतर होगी। जमीनों का व्यवस्थित तरीके से उपयोग हो सकेगा।
– इंजी. संजय वर्मा, सचिव प्रेक्टिसिंग इंजीनियर एसोसिएशन