दो ग्राउंड में फुटबॉल प्रैक्टिस
शहर के दो ग्राउंड में रोजाना प्रैक्टिस चलती है। शिवाजी मैदान सदर में हर थोड़े दिनों में टूर्नामेंट होते हैं, वहीं पुलिस लाइन के हॉकी मैदान में प्रैक्टिस हो रही है। खिलाड़ी रोजाना यहां 2 से 3 घंटा फुटबॉल मैच खेल रहे हैं। उनके बीच एक-एक गोल का रोमांच देखते ही बनता है। बच्चों से लेकर बड़े हर उम्र में फीफा का उत्साह है।
देखते हैं मैच, नींद से कॉम्प्रमाइज
फुटबॉल इंडिया गेम खेल चुके शिवम शुक्ला ने बताया कि फीफा का एक भी मैच उन्होंने मिस नहीं किया है। रोजाना शाम को मैदान में फुटबॉल खेलने आते हैं, वहीं रात में फीफा मैच का आनंद टेलीविजन पर लेते हैं। उनका कहना है कि भले ही नींद से कॉम्प्रमाइज हो जाए, लेकिन वह फुटबॉल विश्वकप को देखने से कॉम्प्रमाइज नहीं कर सकते हैं। नेशनल का हिस्सा रह चुके सैयद आमिर ने बताया कि वे रात में मैच जरूर देखते हैं। उनका कहना है कि हाइलाट्स से काम नहीं चलता। वे पूरा रोमांच मैच देखकर ही उठाना चाहते हैं।
सुन नहीं सकते, लेकिन फुटबॉल की दीवानगी
सिद्धांत उपाध्याय सुनने में अक्षम हैं, लेकिन उन्हें फुटबॉल खेलना और देखना पसंद है। यही वजह है कि वे रोजाना पुलिस लाइन ग्राउंड में फुटबॉल खेलने जाते हैं, वहीं फीफा भी देखते है।
बनना है रोनाल्डो जैसा
नन्हें फुटबॉलर आर्नव सिंह को फुटबॉल पसंद है। वे रोजाना खेलने आते हैं और फीफा की हाइलाइट्स मोबाइल पर देखते हैं। उनका कहना है कि उन्हें बड़े होकर रोनाल्डो जैसा बनना है।