दरअसल जानकारो का कहना है कि बदलते मौसम में जब हवा की गति धीमी और वायुमंडल में नमी होती है। इस दौरान पराली जलाने से जो धुआं निकलता है वह वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। यही वजह है कि दीपावली के मौके पर पटाखा फोड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है ताकि वायु प्रदूषण को रोका जा सके। पराली जलाने या पटाखा फोड़ने से जो जहरीला धुआं वायुमंडल में फैलता है वो कई जानलेवा बीमारियों को दावत देता है। इससे कोहरा भी ज्यादा होता है जिसके चलते दुर्घटनाएं भी होती हैं। और तो और कोरोना संक्रमण के लिए तो वायु प्रदूषण और भी वरदान है। ऐसे में इस तरह की गतिविधि मानव समाज के लिए घातक है। यही कारण है कि सरकार हो या कोर्ट अथवा एनजीटी पराली जलाने और पटाखा फोड़ने पर रोक लगाती हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जिनके लिए शायद यह प्रतिबंध कोई मायने नहीं रखता।
लेकिन किसी के द्वारा खेत में पराली जलाने की भनक लगते ही प्रशासन एक्टिव मोड में आ जाता है। ऐसा ही कुछ सिहोरा तहसील के मझगंवां में हुआ। खेत में पराली जलाने की सूचना मिलते ही एसडीएम सिहोरा आशीष पांडेय मौके पर पहुंचे और आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई। एसडीएम पांडेय के मुताबिक यह मामला मझगंवा राजस्व निरीक्षक मंडल मझगंवा के ग्राम नुंजी का है। गुरुवार 11 नवंबर की दोपहर जब वे स्वामित्व अभियान के तहत चल रहे आबादी भूमि के सर्वेक्षण कार्य का निरीक्षण करने ग्रामीण क्षेत्र के प्रवास पर थे तभी ग्राम नुंजी में पराली (नरवाई) जलती हुई दिखी। पूछताछ करने पर बताया गया कि खसरा नंबर 52 की करीब 0.94 हेक्टेयर कृषि भूमि पर रोहित पटेल पिता देवेंद्र पटेल पराली जला रहे हैं, जबकि यह कृषि भूमि शासकीय अभिलेख में देवेंद्र पिता श्यामलाल पटेल के नाम दर्ज है।
एसडीएम सिहोरा के अनुसार उन्होंने इस मामले में पटवारी अभिलाषा पाठक को आरोपी रोहित पटेल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। पटवारी की सूचना पर मझगंवा पुलिस ने प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन कर पराली जलाने पर गुरुवार की शाम को ही रोहित पटेल पिता देवेंद्र पटेल के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया।