जिन हाथों से सजाती थी भैया की कलाई, उन्हीं से दी अंतिम विदाई
हाय! कैसी नियति राखी से 9 दिन पहले अग्नि हादसे ने बहनों छीन लिया इकलौता भाई
जबलपुर
Published: August 03, 2022 12:07:39 pm
प्रभाकर मिश्रा@जबलपुर. भैया उठो न भैया, कह दो न ये झूठ है, आपको कुछ नहीं हो सकता। नन्हीं गुड़िया को देखो भैया, मां और भाभी को समझाओ! रोती, बिलखती, सिसकती सोनू के आंसू थम नहीं रहे थे। वह बदहवास हुई जा रही थी। मां सीता की रो-रोकर आंखें पथरा गईं। पत्नी वर्षा फूट-फूटकर रो रही थी। सभी ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन वह खुद को सम्भाल नहीं पा रही थी।
अस्पताल अग्नि हादसे में जान गंवाने वाले वीर सिंह की मंगलवार को अंतिम यात्रा से पहले कंचनपुर गमगीन था। बहन सोनू को सभी समझा रहे थे खुद को संभालो भैया को मुखाग्नि तुम्हें ही देना है। बड़ी मुश्किल से उसे ग्वारीघाट मुक्तिधाम ले जाया गया। जब घड़ी भैया के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने की आई तो सोनू को संभालना मुश्किल हो गया। स्वजनों ने सहारा देकर अंतिम संस्कार कराया।
रक्षाबंधन के त्योहार से 9 दिन पहले लाडले भैया की चिता को मुखाग्नि देती बहन सोनू को देखकर ऐसा लग रहा था मानो सबका कलेजा फट जाएगा। जिन हाथों से भैया की कलाई पर रेशम की डोर सजाया करती थी, उन्हीं हाथों से सोनू ने भैया वीर को मुखाग्नि दी। मुक्तिधाम में मौजूद सभी लोग यही कह रहे हाय! कैसी नियति बहनों से उनका इकलौता भाई छीन लिया।

अग्नि हादसे ने बहनों छीन लिया इकलौता भाई
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