ईडीके में खमरिया फैक्ट्री अपने उत्पादों को रखती है। इसकी 15 किमी से ज्यादा दूरी की सुरक्षा दीवार है। दीवार के बाहर बड़ी मात्रा में झाडिय़ां उग आती हैं। गरमी में इनके सूखने के कारण आग का खतरा बना रहता है। यह आग ईडीके के भीतर नहीं पहुंचे इसलिए फायर ब्रिगेड का अमला खुद ही कंट्रोल फायर के माध्यम से झाडिय़ों को आग के हवाले करता है। इस प्रक्रियां आग लगाने के बाद उसे शांत करना भी शामिल रहता है।
20 से ज्यादा कर्मियों की तैनाती
जब भी कंट्रोल फायरिंग की जाती है, उसमें फायर ब्रिगेड विभाग बड़ी संख्या में फायरमैन और अग्निशमन वाहनों की तैनाती करता है। अभी 10 से 12 गाडिय़ां बाउंड्रीवॉल के बाहर एवं 8 से 10 फायरमैन ईडीके अंदर तैनात किए जाते है। वहीं करीब पांच वाहन लगाए जाते हैं।
इस तरह लगाते हैं जंगल में आग
यह प्रक्रिया हर साल गर्मियों में अपनाई जाती है। इसके लिए हले फायरकर्मी झाडिय़ों में आग लगाते हैं। फिर उस पर कड़ी निगाह रखते हैं ताकि वह जंगल की तरफ नहीं फैले। जैसे ही वह सीमा पार करती है, उसे फायर फाइटर के जरिए बुझा दिया जाता है। सुबह से लेकर शाम तक यह प्रक्रिया चलती है। पानी से पूरी आग को बुझा दिया जाता है जब अमला वहां से हटता है।
मवेशी वालों से रहता है खतरा
अक्सर डुमना और सीओडी के समीप के जंगल में आगजनी घटनाएं होती हैं। सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्र में मवेशी चराने के लिए आने वाले लोगों से बड़ा खतरा रहता है। क्योंकि जो लोग बीड़ी पीते हैं, वह उसे जलता छोड़ देते हैं। ऐसे में आग की आशंका बढ़ जाती है।