एसपी ने किया खुलासा-
एसपी निमिष अग्रवाल ने मंगलवार को इस हाई प्रोफाइल मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया, 22 मार्च को कजरवारा निवासी आकाश चौधरी (21) ने गोराबाजार थाने में शिकायत की कि वह शिवपुरी गांव की रोड पर खड़ा था। रात 11 बजे शाहीनाका गढ़ा निवासी कृष्णपाल सिंह राजपूत और एक अन्य व्यक्ति बाइक से आए और उसकी बांयी जांघ पर गोली मार दी। उसे मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इसलिए गहराया संदेह
गोराबाजार टीआइ योगेश सिंह तोमर ने बताया, गोली आकाश की जांघ से सटाकर चलाई गई थी। इस कारण उन्हें संदेह हुआ। आकाश को मेडिकल में भर्ती कराने वाले साहिल खरे और ऋतिक चौहान ने पूछताछ में अलग-अलग जानकारी दी। इससे संदेह और गहरा गया। पुलिस पूछताछ में शिक्षक कृष्णपाल सिंह राजपूत ने बताया, दामाद जितेंद्र सिंह बैस से उनका विवाद चल रहा है। जनवरी में भी आकाश ने उनके खिलाफ मदन महल थाने में चाकू से वार करने की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में उसने बाइक का नम्बर देते हुए सवार को आरोपी बनाया था। बाइक उसके 90 वर्षीय पिता के नाम पर है। वे बाइक नहीं चला सकते। घटना के समय वह घर पर था।
ऐसे हुआ खुलासा
पुलिस और क्राइम ब्रांच ने साहिल व ऋितिक को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सच सामने आ गया। उन्होंने बताया, जितेंद्र अपने ससुर कृष्णपाल सिंह को हत्या के प्रयास के झूठे मामले में फंसाकर जेल भेजना चाहता था। जिससे वह उनसे पैसे ऐंठ सके और नाराज पत्नी को अपने पास बुला सके। कृष्णपाल की छोटी बेटी से गंगानगर निवासी अजय यादव प्रेम करता है। कृष्णपाल के जेल जाने पर उसकी शादी आसानी से हो जाती।
दो लाख रुपए दी थी सुपारी
जितेंद्र और अजय ने साजिश में आकाश चौधरी, सतन उर्फ स्वतंत्र मेहतो, राजदीप चावरे, तारा यादव, साहिल खरे और ऋतिक चौहान को शामिल किया। उसने गोली मारकर हत्या के प्रयास का झूठा प्रकरण दर्ज कराने पर पांचों को दो लाख रुपए की सुपारी दी थी। 40 हजार रुपए एडवांस में दिए थे। 22 मार्च को सभी शिवपुरी के पास एकत्र हुए। स्वतंत्र मेहतो ने पिस्टल से आकाश चौधरी की जांच पर चमड़ी खींचकर गोली चलाई थी। पुलिस ने जितेंद्र को छोडकऱ अन्य सभी को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी निशानदेही पर तीन पिस्टल, दो कट्टा और दो कारतूस भी जब्त किए हैं।
पहली बार धारा 388 की कार्रवाई
पुलिस ने मामले में धारा 388, 120 बी का प्रकरण दर्ज किया है। एएसपी क्राइम शिवेश सिंह बघेल के मुताबिक धारा 388 का प्रयोग तब किया जाता है, जब कोई व्यक्ति या समूह ऐसी साजिश रचे, जिसमें पीडि़त को हत्या या हत्या के प्रयास जैसे संगीन आरोप में फंसाया जा सके। इसमें आरोपी को उतनी ही सजा का प्रावधान है।