आयुष पद्धति अपनाकर बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता
जीवन अमृत योजना के तहत बांटे जा रहे काढ़े के पैकेट
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक चिकित्सा अनुसार एक चुटकी हल्दी और नमक के साथ गर्म पानी से गरारे किये जाने चाहिए। प्रतिमर्स नस्य-नाक के प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह अणु/तिल तेल की 2-2 बूंद डाली जा सकती है। अश्वगंधा चूर्ण के एक से तीन ग्राम चूर्ण को लगातार 15 दिन तक गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है। सशंमनी वटी/गुड़ुची/ गिलोय घनवटी 500 मिली ग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं।
त्रिकुट पावडर में मिलाएं तुलसी
इसी प्रकार त्रिकटु पाउडर एक ग्राम, तुलसी की 3 से 5 पत्तियां एक गिलास पानी में उबालकर पीने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी की पत्तियां, दालचीनी, शुंडी और कालीमिर्च का काढ़ा भी उपयोगी है। इसी प्रकार होम्योपैथी में आर्सेनिकम एल्बम-30 को कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोग निरोधी दवा के रूप में अपनाया जा सकता है। इसकी एक डोज खाली पेट 3 दिन उपयोग की जा सकती है।
यूनानी चिकित्सा भी उपयोगी
यूनानी पद्धति से भी रोक प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा किया जा सकता है। आयुष विभाग के अनुसार शरबत उन्नाब 10-20 मिली ग्राम दिन में 2 बार, तिर्याक नज़ला 5 ग्राम दिन में 2 बार लिया जा सकता है। नथुने में रोगन बनाफ शा एक से दो बूंद डाला जा सकता है। अर्क अजीब 4-8 बूंदें ताजे पानी में दिन में 4 बार इस्तेमाल कर सकते हैं। बेहिदाना 3 ग्राम, उन्नाब 7 दाना, सपिस्तान 7 दाना, दालचीनी 3 ग्राम, बनफ सा 5 ग्राम, बर्ज-ए-गोजाबान 7 ग्राम औषधि का जोशांदा काढ़ा एक लीटर पानी में डालकर उबालें और आधा रह जाने पर छानकर बार-.बार सिप लेकर पीने से भी फ ायदा होता है।