– पेन्ट्रीकार के बाहर रेट लिस्ट चस्पा होनी चाहिए
– वेंडर्स के पास रेट कार्ड होना चाहिए
– यात्रियों को रेटकार्ड दिखाने के बाद बिक्री
– प्रत्येक खाद्य सामग्री का बिल यात्री को देना।
विंडो पर भी नहीं रेटकार्ड
रेलवे में प्लेटफार्म या ट्रेन के भीतर किसी भी खाद्य सामग्री के विक्रय के लिए वेंडर्स को रेट लिस्ट उपभोक्ता के लिए लगानी पड़ती है। प्लेटफार्म पर स्टॉल में तो यह रेट लिस्ट होती है, लेकिन चाय, समोसा और अन्य खाद्य सामग्री ट्रेन की विंडो तक जाकर बेचने वालों के पास रेट कार्ड नहीं होता। जिस कारण अक्सर वेंडर्स यात्री से मनमाना दाम वसूल लेते हैं।
ट्रेन:- पटना पुणे सुपरफास्ट
मामला:- पटना निवासी रामकुमार यादव ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने वेंडर से खाने की थाली ली। लेकिन वेंडर ने न तो उन्हें रेटकार्ड दिखाया और न ही बिल दिया।
कभी नहीं मिलता रेटकार्ड
ट्रेन के भीतर तो स्थिति और खराब है। लंबी दूरी की ट्रेनों में अक्सर पेंन्ट्रीकार होती है। इसके जरिए यात्रियों को खाना से लेकर अन्य खाद्य सामग्री तक पहुंचाई जाती है। नियमानुसार वेंडर्स को रेटकार्ड यात्री को देना चाहिए, जिससे यात्री को यह पता चल सके कि खाद्य सामग्री का असल मूल्य क्या है, लेकिन ट्रेन कभी रेटकार्ड नहीं दिया जाता। इसका फायदा उठाकर वेंडर्स यात्रियों से कई बार खाद्य सामग्री का अधिक मूल्य ले लेते है।
टे्रन:- महानगरी एक्सप्रेस
मामला:- खाद्य सामग्री बेच रहे वेंडर से ट्रेन में यात्रा कर रहे प्रिंस जैन ने रेट कार्ड मांगा, तो वेंडर ने रेट कार्ड न होने की बात कही। जिसके बाद प्रिंस को वेंडर द्वारा बताए गए मूल्य पर खाद्य सामग्री लेनी पड़ी।
इसलिए भी नहीं देते रेटकार्ड
रेलवे जिन खाद्य सामग्री की अनुमति देता है, प्लेटफार्म और ट्रेन में वे ही यात्रियों को बेची जानी चाहिए। लेकिन ट्रेन में अक्सर ऐसा नहीं होता। रेलवे की अनुमति वाली सामग्री के साथ ही वेंडर्स बाहरी सामग्री भी रखते हैं, जिन्हें बैखौफ ट्रेनों में बेचा जाता है।
वर्जन
ट्रेन में भी रेटकार्ड और बिल देने का नियम है। यदि वेंडर ऐसा नहंी करता है, तो उसे भुगतान न करें। नो बिल नो पे योजना यात्रियों की सुविधा के लिए चलाई जा रही है। वेंडर्स को ऑटोमैटिक बिल मशीन भी दिए गए हैं।
मनोज गुप्ता, सीनियर डीसीएम, कोचिंग