वहीं ठहरे थे विद्यार्थी-
गौर स्थित महात्मा गांधी होम्योपैथी कॉलेज में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विद्यार्थियों को सोलर एनर्जी सिस्टम को लेकर प्रशिक्षित करने के लिए वर्कशॉप चल रही है। प्रशिक्षण हासिल करने वाले विद्यार्थी कॉलेज में ही ठहरे हुए थे। मेस में उनके भोजन की व्यवस्था की गई थी। एसडीएम नम: शिवाय अरजरिया के अनुसार होम्योपैथी कॉलेज में फूड प्वाइजनिंग की शिकायत मिली है। कुछ छात्रों को उल्टी, पेट में दर्द की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले की जांच कराई जा रही है।
रायता खराब होने का अंदेशा
छात्रों ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि गुरुवार को दोपहर में मेस में खाने के साथ रायता दिया गया था। बीमार पडऩे वाले विद्यार्थियों और फैकल्टी में वहीं है, जिन्होंने रायता का सेवन किया। इससे रायता के खराब होने गुणवत्ता खराब होने या मिलावट की आशंका है। जिसके सेवन के कारण विद्यार्थियों और फैकल्टी तबियत बिगड़ी।
पहले दबाया गया मामला
सूत्रों के अनुसार शाम से ही कुछ प्रशिक्षार्णी स्वास्थ्य खराब होने की बात कह रहे थे। लेकिन देर रात एक-एक करके कई छात्र-छात्राओं को उल्टी, दस्त, पेट में दर्द होने लगा। दो-तीन छात्र लगभग बेहोश हो गए। कुछ फैकल्टी मेम्बर्स की तबीयत बिगडऩे की सूचना मिली तो कॉलेज प्रबंधन हरकत में आया। आनन-फानन में पीडि़तों को अस्पताल में भर्ती कर उपचार शुरू किया गया।
जिम्मेदारों का ढुलमुल रवैया
फूड प्वाइजनिंग के शिकार करीब 22 लोगों को गौर तिराहा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के अनुसार प्रारम्भिक उपचार के बाद सात पीडि़तों की स्थिति में सुधार होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 15 विद्यार्थी अभी भी अस्पताल में भर्ती है। इन्हें गंभीर हालत में लाया गया था। इधर, फूड प्वाइजनिंग बात सामने आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के ढुलमुल रवैये को लेकर भी सवाल उठ रहे है।
मामले को दबाने की कोशिश
मेस का दूषित भोजन खाकर बीमार हुए छात्रों की संख्या अधिक होने की बात कही जा रही है। कुछ छात्रों ने कलेक्टर को शिकायत पत्र भेजा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस शिकायत में कॉलेज में ट्रेनिंग ले रहे सौ से अधिक छात्रों के बीमार होने और उनकी संख्या लगातार बढऩे की शिकायत की गई है। इसमें बाहर से आकर ट्रेनिंग ले रहे विद्यार्थियों के अलावा होम्योपैथी कॉलेज के विद्यार्थी भी शामिल बताएं जा रहे हैं। जिम्मेदारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इधर, कॉलेज प्रबंधन द्वारा मामले को दबाने की भी चर्चा है।