विदिशा निवासी यशवंती सुनानी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि उसने पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, जिसे रेलवे ने खारिज कर दिया। सबसे पहले दिवंगत कर्मी की पत्नी शिवरती बाई ने 2001 में आवेदन किया, लेकिन मेडिकल आधार पर उनका दावा खारिज हो गया। वर्ष 2003 में शिवरती की मृत्यु हो गई। मां की मृत्यु के बाद बेटे (आवेदिका का भाई) मदन ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया जो स्वीकार हो गया, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान 2013 में मृत्यु हो गई। इसके बाद यशवंती ने आवेदन पेश किया। रेलवे की ओर से रेलवे की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायदृश्टांत का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए मूल कर्मी की मृत्यु के समय आश्रित होने की स्थिति को देखना सबसे जरूरी है।बताया गया कि मूल कर्मचारी की मृत्यु के समय आवेदिका शादीशुदा थी और उसके पति की मृत्यु बाद में हुई है। रेलवे के नियम के अनुसार आवेदिका अनुकंपा नियुक्ति पाने की हकदार नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।