जबलपुर से अमरकंटक तक 230 किलोमीटर और जबलपुर से सागर तक 160 किलोमीटर में फैले वन की हरियाली चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जंगल में लकड़ी माफिया की नजर लग गई है। माफिया सालों पुराने पेड़ों को इस तरह गिरा रहा है, जो वन विभाग भी नियमानुसार उसे रोक नहीं पा रहा है। वन विभाग के नियमानुसार हरे-भरे पेड़ों की कटाई नहीं की जा सकती है लेकिन सूखे पेड़ को काटा जा सकता है। इसका फायदा उठाकर पेड़ों को सुखाने का काम किया जा रहा है।
बीट गार्ड बेखबर
वन विभाग में निगरानी के लिए बीट गार्ड तैनात हैं। ये वनों की सुरक्षा के लिए सतत पहरेदारी करते हैं। लेकिन उसके बाद भी वन में पेड़ों से की जा रही छेड़छाड़ की जानकारी इन्हें नहीं है, जिससे यह सामने आ रहा है कि पेड़ों में कट लगाना बढ़ता जा रहा है। वन में सूखी लकड़ी बीनने की छूट होने पर लोग इसे उठाकर जलाऊ लकड़ी के रूप में ले जा रहे हैं। इस पर वन अमला भी कुछ नहीं कर पा रहा है।
तने को सुरक्षित रखती है पेड़ की छाल
वनस्पति शास्त्र के विशेषज्ञ डॉ. ज्योति शुक्ला का कहना है कि पेड़ की छाल तने को सुरक्षित रखती है। बाहरी वातावरण से बचाने के साथ उसे मजबूती प्रदान करती है। फोटो सिंथेसिस के जरिए जड़ से भोजन-पानी तरल पदार्थ के रूप में पत्तियों तक पहुंचता है। यदि छाल और तने को नुकसान पहुंचा दिया जाता है तो पेड़ के उपर तक पोषण तत्व नहीं पहुंच पाते हैं, जिससे पेड़ की हरित कोशिकाएं मृत होने लगती है और पेड़ सूख जाता है।
पेड़ों में लगा रहे हैं गहरा कट
जानकार कहते हैं कि जंगल के बीच पेड़ों में कट लगाकर क्षति पहुंचाई जा रही है, जिससे पोषण नहीं मिलने की वजह से यह पेड़ सूख जाता है। पेड़ सूखने के बाद टुकड़ों में इस लकड़ी को ढो लिया जा रहा है। पेड़ की मोटी छाल को चारों ओर से काट दिया जाता है। छाल निकालने में तने की उपरी परत भी छील दी जा रही है। इससे पेड़ को मिलने वाला पोषक कम हो जाता है।
जिम्मेदार बोले…
वनों की सुरक्षा के लिए बीट गार्ड सहित अन्य अधिकारी हैं। यदि इस जगह पेड़ों को क्षति पहुंचाई जा रही है तो उसे दिखवाया जाएगा।
कमल अरोरा, मुख्य वन संरक्षण, जबलपुर वृत