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भगवान आदिनाथ के मोक्ष कल्याणक और गजरथ फेरी की साक्षी बनेगी संस्कारधानी

locationजबलपुरPublished: Feb 23, 2019 01:07:53 am

Submitted by:

praveen chaturvedi

कैलाश पर्वत पर सुबह 7.35 बजे होगा भगवान आदिनाथ का मोक्ष

भगवान आदिनाथ के मोक्ष कल्याणक और गजरथ फेरी की साक्षी बनेगी संस्कारधानी

gajrath

जबलपुर। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव स्थल में तैयार किए गए कैलाश पर्वत पर महोत्सव के सातवें दिन शनिवार सुबह 7.35 बजे भगवान आदिनाथ का मोक्ष कल्याणक होगा। दोपहर 1.30 बजे एेरावत स्वरूप, मंगल के प्रतीक गज रथ पर सौर्धर्म इंद्र भगवान की मूर्ति के साथ विराजमान होकर सात परिक्रमा करेंगे। वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों के बीच धर्म प्रभावना के अद्भुत दृश्य के दर्शन और पुण्य अर्जन के लिए सकल दिगम्बर जैन समाज के लोग आस्था भाव के साथ उपस्थित होंगे तो नगर में 10 वर्ष बाद हो रहे गजरथ महोत्सव की साक्षी संस्कारधानी बनेगी। इस दौरान जनप्रतिनिधियों का भी सम्मान किया गया।

गजरथ महोत्सव में शुक्रवार दोपहर 12 बजे से मुनि सुव्रतनाथ भगवान के नवनिर्मित जिनालय में ब्रह्मचारीगण भक्ति-ध्यान, मंत्र-आराधना में लीन हो गए। 2 घंटे की साधना के बाद सभी की दृष्टि अनवरत प्रभु की उस श्यामवर्ण पद्मासिनी मूरत पर टिकी रही, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पंचकल्याणक के अनुष्ठान हुए। गुरुकुल जिनालय में मंत्र-विधि, भक्ति विधि, प्राण प्रतिष्ठा और सूर्य मंत्र की विधि सम्पन्न हुई।


मुनि योगसागर ने मुनि सुव्रतनाथ भगवान की जिन प्रतिमा में जैसे ही सूर्य मंत्र का संचार किया, जिनबिम्ब से अनुपम आभा प्रकट हुई। अवनि ऊपर, अंबर नीचे, जिन मंदिर साकार, वर्णी गुरुकुल मुनि सुव्रतनाथ की प्रतिमा मंगलकार, दृश्य मनोहर, छटा मनोहर, जिन धर्म है तारणहार त्रिलोक पूज्य मुनि सुव्रतनाथ की बोलो जय-जयकार… से महोत्सव स्थल गूंज उठा।

समवशरण की रचना का विधान हुआ
महोत्सव के छठवें दिन शुक्रवार को कैवल्य ज्ञान-कल्याणक के संदर्भ में समवशरण की रचना की गई। भगवान को जब कैवल्य ज्ञान होता है, तब सम्पूर्ण वसुधा के अधिपति-चक्रवर्ती, राजा-महाराजा, सम्राट वहां नतमस्तक होते हैं। धर्मोपदेश सभा में पशु, त्रियंक, मनुष्य, देव, सुर-असुर सभी जीव उस वाणी को सुनते हैं। कैवल्य-ज्ञान के परिप्रेक्ष्य में ही गजरथ स्थल पर पंकल्याणक प्रतिष्ठा के तहत दिव्य-समवशरण की रचना की गई, जिस पर भगवान विराजमान हुए।

जीव का सबसे बड़ा शत्रु है अज्ञान
विधानाचार्य त्रिलोक ने कहा, संसार में जीव का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान है। शेष पाप इस अज्ञान रूपी पाप की परछाइयां हैं। जीवन में ज्ञान का सूर्य प्रगट होना चाहिए। ज्ञान की आराधना करनी चाहिए। ज्ञान जीव का सबसे बड़ा मित्र है। आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि योगसागर अपने ससंघ सानिध्य के माध्यम से हम सभी को ज्ञान के आलोक से लाभान्वित कर रहे हैं।

देर रात तक सजाए रथ
गजपथ के दोनों ओर लोहे की जाली लगाई गई है। स्वयंसेवकों ने रहली पटना से आए रथों को देर रात सजाने में जुटे रहे। इस दौरान गजरथ समिति के अध्यक्ष अशोक जैन, मंत्री आनंद सिंघई, अमित पड़रिया, सुरेंद्र जैन पहलवान, मंजेश जैन, गीतेश जैन, नितिन बेंटिया, श्रेय जैन, अंकुश जैन भूरे, सुनील जैन मौजूद रहे।

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