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मप्र की जेलों में बनी खतरनाक गैंग, बैखोफ कर रहे ये काम

locationजबलपुरPublished: Mar 10, 2018 01:07:09 pm

Submitted by:

Lalit kostha

बीड़ी, सिगरेट समेत गुटखा पहुंच रहा अंदर, जेल में भी बनींं गैंग, रुपए हों तो मिल जाता है सब कुछ, कई मामले आ चुके हैं

revolver

gangster puts the revolver when the shopkeeper demands a bill

जबलपुर. जेल की चारदीवारियों के भीतर रहने वाले अपराधी बेखौफ होकर नशा करते हैं। कोई बीड़ी पीता है, तो कोई खुलेआम सिगरेट के कश लगाता है। गुटखा और तम्बाकू भी आसानी से मुहैया हो जाता है। ´जेल के भीतर चल रहे इस खेल में जेल के कई जवान भी शामिल है। कभी बंदियों को पहुंचाए जाने वाले सामान की आड़ में नशे का यह सामान पहुंचता है, तो कभी जेल प्रहरी बंदियों के इशारे पर यह करते हैं। इससे जेल की सुरक्षा भी ताक पर है।

नम्बरदार भी शामिल
जेल से छूटकर आए एक बंदी ने नाम न छापने बताया कि जेल के भीतर चल रहे इस खेल में प्रहरियों के अलावा नम्बरदार भी शामिल हैं। अपराधियों के इशारे पर नंबरदार उनकी मनमर्जी का सामान जेल प्रहरियो से अंदर लाने की सेटिंग करते हैं। जिसके बाद वह जल्द से जल्द अपराधी तक पहुंच जाता है। नंबरदार और प्रहरियों के बीच के गठजोड़ के कारण ही जेल में आपत्तिजनक वस्तुएं पहुंचती हैं।

गोल में बंदियों की गैंग- जेल के विभिन्न वार्डों में रहने वाले बंदियों और अपराधियों ने अपनी-अपनी गैंग भी तैयार कर ली है। रसूखदार अपराधी या बंदी के लिए उसकी गैंग के गुर्गे काम करते हैं। उसके कपड़े धोने से लेकर खाने में तड़का तक लगाया जाता है। इतना ही नहीं रसूखदार बंदी समय मिलने पर अपने गुर्गो से अपनी मालिश तक कराते हैं। यदि कोई गैंग से बाहर जाने की कोशिश करता है, तो कभी उसे बंदी स्वयं ही पीट देते हैं, तो कभी नंबरदारों या प्रहरियों से झूठी शिकायत कर उसे सजा दिलवा दी जाती है।

पकड़ा गया था प्रहरी
कुछ माह पूर्व एक प्रहरी को पकड़ा गया था। वह मादक पदार्थ लेकर जेल में जा रहा था। जेल प्रशासन ने उसके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में एफआईआर भी कराई। जिसके बाद गांजा के साथ सिविल लाइंस पुलिस ने प्रहरी को गिरफ्तार कर लिया था। प्रहरी के पकड़े जाने के बाद ही यह राज खुला कि जेल के भीतर जो भी सामान जाता है, उसमें प्रहरियों की मिलीभगत रहती है। हलांकि जांच आगें नहीं बढ़ सकी।

दो से तीन गुना हो जाता है दाम
जेल की चारदीवारियों में पहुंचने वाला सामान दो से तीन गुना कीमत का होकर अपराधियों तक पहुंचता है। यही कीमत प्रहरियों और नबंरदारों में बतौर कमीशन बंटती है।

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