घंटों किया गरबा, फिर भी नहीं भरा मन
गरबा महोत्सव के अंतिम दिन पार्टिसिपेंट्स ने खूब गरबा किया, लेकिन इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा। पार्टिसिपेंट्स का कहना था कि साल भर उन्हें सिर्फ पत्रिका डांडिया महोत्सव के सिर्फ तीन दिनों का इंतजार रहता है, ताकि वे गरबा और डांडिया करके लाइफ एंजॉय कर सकें। ऐसे में घंटों चलते वाले म्यूजिक के बाद भी पार्टिसिपेंट्स का मन नहीं भरा।
आकर्षक झलकियां
ठ्ठ गुजराती गीतों पर खूब हुआ गरबा। ठ्ठ बॉलीवुड मिक्स स्टेप्स के साथ खनकी डांडिया। ठ्ठ पार्टिसिपेंट्स का दिखा गजब का ड्रेसिंग सेंस। ठ्ठ टैटू और प्रॉप्स ने पार्टिसिपेंट्स को बनाया सेंटर ऑफ अट्रैक्शन ठ्ठ खूब चला फोटो सेशन का दौर ठ्ठ एफबी लाइव में खुद दिखे पार्टिसिपेंट्स।
सरगम ने खूब थिरकाया
कार्यक्रम में सरगम आक्रेस्ट्रा के राजेश पिल्लै और उनकी टीम के कलाकारों द्वारा बेमिसाल संगीतमय धुनों से पार्टिसिपेंट्स को खूब थिरकने पर मजबूर किया।
बेटी बचाओ का संदेश
डांडिया महोत्सव में आकर्षक वेशभूषा के लिए प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रकार के प्रयोग किया। किसी ने मोर पंख से पगड़ी सजाई तो कुछ ने छतरी और स्टाइलिश चश्मा लगाया। गरबा सर्किल में सबसे चर्चित था एक प्रतिभागी, जिसने अपनी पगड़ी के ऊपर बेटी बचाओ का संदेश लिखा था। शक्ति की आराधना में उसने शक्ति स्वरूपा बेटियों को बचाने का संदेश देने के लिए अनुठा प्रयोग किया।
शक्ति की स्तुति से शुभारम्भ
डांडिया महोत्सव में आदि शक्ति की स्तुति से आयोजन का शुभारम्भ हुआ। सबसे पहले आरती हुई, चयनित प्रतिभागियों ने हाथों में दीपक लेकर मनमोहक आरती नृत्य किया। इस अवसर पर भक्ति और संस्कृति का उत्सव साकार हुआ। हर कोई भक्ति भाव में जयो जयो मां जगदम्बे की धुन पर थिरकने और गुनगुनाने को विवश हो गया। अंतिम दिन समापन के अवसर पर विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार दिया गया। पत्रिका के स्थानीय संपादक गोविंद ठाकरे ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर यूनिट हेड अजय शर्मा, मार्केटिंग हेड नीलेश सिंघई सहित पत्रिका टीम मौजूद थी।
– जय अम्बे जगदम्बे माता… – परी हूं मैं… – हंसता हुआ नूरानी चेहरा…
– संवार लूं, संवार लूं… – ढोलिड़ा ढोलिड़ा… – ढोली तारो ढोल बाजे…
– गरबा रमवो रे…