जिले में 500 से अधिक सलवार सूट तैयार करने वाली छोटी और बड़ी इकाइयां हैं। इनमें हर साल 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार होता है। इनकी सबसे ज्यादा मांग दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश में रहती है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र के कुछ शहरों में भी इसकी सप्लाई होती है। कारोबारी जनवरी में कच्चा माल खरीदते हैं। फरवरी और मार्च में माल बनना तैयार होता है। अप्रैल से इसकी आपूर्ति प्रारंभ हो जाती है लेकिन इस बार भी तैयार माल गोदामों में रखा रह गया। जबलपुर में सलवार सूट के कई पैटर्न तैयार होते हैं। इनकी खूब मांग रहती है।
लगातार हो रहा है धंधे में घाटा
जबलपुर गारमेंट एंड फैशन डिजाइन क्लस्टर के एमडी श्रेयांस जैन का कहना है कि पिछले वर्ष हुए नुकसान से कारोबारी उभर नहीं पाए थे। दूसरे साल भी यही हाल हुआ। गारमेंट इंडस्ट्री संचालक सुनील चांदवानी ने बताया कि जो भी व्यापारी इस कारोबार से जुड़ा है उसे लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। जनवरी में कच्चा माल खरीद लिया था। इस घाटे की कहीं से भरपाई भी नहीं होती। जीएसटी चुकानी पडेग़ी। बिजली बिल भी आएगा। कर्मचारियों का वेतन भी देना है।
फैक्ट फाइल
– जिले में लगभग 500 छोटे-बड़े गारमेंट कारखाना।
– सालाना 300 करोड़ से ज्यादा व्यापार का टर्नओवर।
– प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 25 हजार से ज्यादा श्रमिक जुड़े।
– सीजन में 150 से 200 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित।
– लॉकडाउन की वजह से दक्षिण भारत के राज्यों में सप्लाई रुकी।