आचार्य विद्यासागर व गणाचार्य विरागसागर के आशीर्वाद व समाधिस्थ मुनि अमृतसागर की प्रेरणा से आचार्य विशुद्ध सागर ससंघ सानिध्य में अमृत तीर्थ में १३ से १९ मार्च तक गजरथ महोत्सव की धर्म प्रभावना की जाएगी। गजरथ स्थल पर बुधवार सूर्योदय से पहले ही शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के चयनित प्रमुख पात्र, इंद्र इंद्राणियां जाएंगे। सकल दिगम्बर जैन समाज के लोग भगवान आदिनाथ की उपासना करेंगे। जबकि, संस्कारधानी के लोग इस धार्मिक अनुष्ठान के साक्षी बनेंगे।
सबसे ऊंचे मंदिर में लगेगी लिफ्ट आयोजन समिति के लोगों ने एक दिन पहले ही तैयारियां पूरी कर ली। नौ एकड़ भूमि पर मुख्य पांडाल बनाया गया है, जहां ५० फुट ऊंचा ध्वजारोहण होगा। 131 फीट ऊंचा शिखरयुक्त अमृततीर्थ जिनालय जबलपुर जिले का अब तक का सबसे भव्य जिनालय है, जिसमें मूलनायक सहित 400 जिनबिम्बों की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। मूलनायक आदिनाथ ऋ षभदेव की प्रतिमा 16 फीट की पद्मासिनी मुद्रा वाली है । इस मंदिर में लिफ्ट लगाई गई है। पुण्य अल्प और इच्छाएं अनंत तो नहीं मिलेगा सुखगजरथ महोत्सव के शुभारंभ की पूर्व संध्या के अवसर पर आचार्य विशुद्ध सागर ने मंगल प्रवचन करते हुए कहा कि जिसका पुण्य अल्प है और इच्छाएं अनंत हैं, वह व्यक्ति कभी भी सुखपूर्वक नहीं रह सकता। दूसरों के पुण्य को देखकर ईष्या मत करो, उनके पूर्व कृत पुण्यों को निहारो। भाषा की कटुता से अनर्थ प्रारंभ हो जाता है। जो कटुता की भाषा बोलता है, वह घोर हिंसक होता है। मंगलवार को मंगलाचरण का सौभाग्य साधना जैन को मिला। पाद प्रक्षालन भिलाई समाज ने और संचालन अनिल सागर ने किया।