यह है स्थिति
07 अक्टूबर 2011 को रक्षा खरीद परिषद ने लिया स्वदेशी तोप बनाने का निर्णय।
स्वीडन की बोफोर्स तोप को अपग्रेड कर 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप तैयार।
जीसीएफ, 506 वर्कशॉप, सीओडी, डीआरडीओ, डीजीक्यूए और निजी क्षेत्र का सहयोग।
गन कैरिज फैक्ट्री में प्रोजेक्ट की शुरुआत, नवम्बर 2012 में प्रोटोटाइप बनाया।
जीसीएफ को शुरूआत में 18 धनुष तोप के उत्पादन लक्ष्य रक्षा मंत्रालय से मिला।
अब तक तोप के 12 प्रोटोटाइप तैयार किए गए। छह तोप थलसेना के पास।
तकनीकी पक्ष
38 किमी दूरी तक क्षमता।
30 सेकंड में तीन राउंड फायर।
03 से 70 डिग्री तक घुमाव।
13 टन है तोप का वजन।
16 करोड़ तोप की कीमत।
81 फीसदी कलपुर्जे स्वदेशी। देवलाली में राष्ट्र को समर्पण
अभी नासिक के देवलाली में स्कूल ऑफ आर्टलरी में धनुष तोप को राष्ट्र को समर्पित करने की तैयारियां की जा रही हैं। इसमें देश के प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री से लेकर सेना के आला अधिकारी शामिल होंगे।
कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित
जीसीएफ श्रमिक संघ के रामप्रवेश सिंह, अविनाश कामले, संजय मिश्रा ने कहा कि फैक्ट्री को लंबे समय के लिए बड़ा काम मिल गया है। इससे कर्मचारी निश्चिंत होकर काम कर सकेंगे। मजदूर संघ के मिठाईलाल, राजा पांडे, रोहित यादव, केके शर्मा, आशीष विश्वकर्मा ने बताया बल्क प्रोडक्शन मिलने से फैक्ट्री का भविष्य सुरक्षित हो गया है।
रक्षा मंत्रालय से 114 धनुष तोप का बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस मिला है। इसे सफल बनाने में फैक्ट्री के अधिकारियों के साथ रक्षा संगठनों का बड़ा योगदान रहा है। समय सीमा में तोप तैयार हो जाएं।
रजनीश जौहरी, महाप्रबंधक जीसीएफ