एनएबीएल का सर्टिफिकेट जरूरी
सूत्रों के अनुसार आउटसोर्स पर दी जाने वाली लैब का नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फॉर लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) से सर्टिफिकेट कराना जरूरी होगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ समय-समय पर लैब का जायजा लेंगे। नूमनों की जांच करेेंग। गड़बड़ी मिलने पर जुर्माने और निविदा निरस्त करने की कार्रवाई होगी।
इसलिए हो रही कवायद
मेडिकल कॉलेज स्थित सेंट्रल लैब में कई आधुनिक मशीनें है। इन मशीनों में जांच के लिए सिर्फ उन्हीं कम्पनियों की किट का उपयोग होता है। इस एकाधिकार के कारण किट और मशीनों के रखरखाव पर ह साल मोटी रकम खर्च हो रही है। इसके बावजूद किट की कमी होने पर कई बार जांच को लेकर समस्या होती है। मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही सेंट्रल लैब में जांच का भार बढऩे से रिपोर्ट देने में भी कई बार अधिक वक्त लग रहा है। कर्मचारियों की संख्या कम होने से जांच की गुणवत्ता संदिग्ध बनी हुई है।
यह बनेगी स्थिति
– आउटसोर्स होने के बाद लैब में हर प्रकार की जांच चौबीस घंटे होगी।
– लैब के साथ ओपीडी में मरीजों के नूमने एकत्र करने की व्यवस्था होगी।
– हर प्रकार की जांच रिपोर्ट देने के लिए समय-सीमा निर्धारित रहेगी।
– अस्पताल में भर्ती मरीजों को उनकी जांच रिपोर्ट वार्ड तक पहुंचाई जाएगी।
मेडिकल अस्पताल में मरीजों को पैथोलॉजी जांच की आधुनिक और बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे है। आउटसोर्सिंग से मरीजों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं आएगा। जांच कराना आसान हो जाएगा।
शरद जैन, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री