जबलपुर, तीन साल पहले स्कूल में श्रेया ने एयरगन थामी, उसने शूटिंग की, तो उसकी गन से निकली हर एक बुलेट सीधे निशाने पर लगी। बस यहीं से श्रेया के कैरियर की शुरूआत हुई। उसने इस प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीता, जिसके बाद परिजनों ने उसे एक निजी संस्थान में प्रेक्टिस के लिए भेजना शुरू कर दिया। इसके बाद श्रेया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई प्रतियोगिताओं में संस्कारधानी और देश का नाम रोशन किया। बुधवार को जैसे ही १२ वीं एशियाई एयरगन शूटिंग चैंपियनशिप में श्रेया द्वारा गोल्ड मैडल जीतने की जानकारी लगी, तो पूरे परिवार में खुशियां छा गईं। गुरुवार को श्रेया 10 मीटर मिक्स्ड इवेंट कैटेगरी उतरीं। जिसमें उन्होंने शानदान प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता।
त्रिमूर्ति नगर निवासी संजय अग्रवाल ने बताया कि उनकी बेटी श्रेया ने पहली बार स्कूल में गोल्ड मेडल जीता था। उसे प्रेक्टिस के लिए निजी संस्थान में भेजने की बात हुई, तो मां मीना ने भी इस बात का समर्थन किया। बेटी की जीत और गोल्ड मेडल जीतने की बात सुनकर मीना की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे।
बड़ा भाई भी खेल चुका है नेशनल
संजय के अनुसार उनका एक बेटा यश भी है, जो श्रेया से बड़ा है। वह भी शूटिंग में माहिर है। बीफार्मा कर रहे यश ने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है।