हम बात कर रहे हैं, कॉलेज में पढऩे वाली प्रीति जायसवाल और वर्षा दुबे की। दोनों पक्की फ्रेंड हैं। दोनों स्नेह नगर में रहती हैं। जहां घर पास एक नेत्रहीन कन्याओं का छात्रावास है। इस छात्रावास में करीब 40 छात्राएं रहकर पढ़ाई कर रही हैं। प्रीति और वर्षा हर रोज इन छात्राओं से मिलती हैं, बात करती हैं। दोनों के मन में ख्याल आया कि इन छात्राओं की बेरंग दुनिया में क्यों न खुशी के रंग भरे जाएं।
दोस्तों ने किया इंकार, खुद हो गईं तैयार
इस विचार के साथ दोनों ने अपने दोस्तों से इस संबंध में बात की और होली नेत्रहीन छात्राओं के सेलिब्रेट करने का प्लान किया। किंतु अधिकतर दोस्तों ने इंकार कर दिया। अंतत: दोनों ने अपने पॉकेट मनी से नेत्रहीन छात्राओं के लिए रोजाना उपयोग में आने वाली वस्तुओं को खरीदा, फिर रंग गुलाल लेकर पहुंच गईं छात्रावास। जब छात्राओं को ये पता हुआ कि दो दीदी उनके साथ होली खेलने आई हैं तो वे भी खुशी से झूम उठीं। सबने एक दूसरे को गुलाल लगाया। होली की बधाई दी। फिर उन्हें प्रीति और वर्षा ने गिफ्ट भी दिए। प्रीति ने बताया कि उसके एक दोस्त ने भी थोड़ा सहयोग दिया है। बाकी उन्होंने अपने खर्चे में कटौती कर पैसे बचाए थे।
आज की होली हमेशा याद रहेगी। इतनी खुशी पहले कभी नहीं मिली। ये संकल्प है मेरा कि अब हर त्यौहार ऐसे ही सेलिब्रेट करुंगी।
– प्रीति जायसवाल
अभी तक हर त्यौहार धूम धड़ाके से खूब खर्च करके मनाते थे, पर वो खुशी या प्रसन्नता नहीं हुई जो आज इन छात्राओं के साथ होली मनाकर मिली है। खुशी से आंसू आ गए यानि मेरा त्यौहार शुभ हो गया।
– वर्षा दुबे