जबलपुरPublished: Aug 26, 2017 12:51:00 pm
Premshankar Tiwari
एसएफआरआई का जलवायु परिवर्तन पर नया खुलासा, नरसिंहपुर के वन क्षेत्र में हुई रिसर्च, राज्य में २९ वनों में और की जाएगी
global warming- this tree is absorbing carbon quickly
जबलपुर। जलवायु परिवर्तन रोकने में विभिन्न प्रजाति के पेड़ों की भूमिका में भी अन्तर होता है। एक ही प्रजाति का पेड़ अलग-अलग क्षेत्र में कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषण विभिन्न मात्रा में करता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के दौर में राज्य वन अनुसंधान संस्थान (एसएफआरआई) जबलपुर की वन वनस्पति शाखा पेड़ों के जरिए अधिकाधिक कार्बन अवशोषण पर रिसर्च कर रही है। नरसिंहपुर के वनक्षेत्र में साल के पेड़ को सबसे उपयुक्त पाया गया है। इसी तर्ज पर मप्र के 39 वन क्षेत्रों में यह रिसर्च की जा रही है।
9 हेक्टेयर में रिसर्च
प्रदेश को 11 कृषि जलवायु क्षेत्र में बांटा गया है। नरसिंहपुर स्थित जोन 5 सेंट्रल नर्मदा वैली में 9 हेक्टेयर में रिसर्च हुई है। वहां 729 पेड़ हैं जिसमें साल के सर्वाधिक हैं। चिरौंजी, साजा, महुआ, बेल, आंवला, सागौन, धावड़ा, भिलवा एवं कुम्भी सहित 22 प्रजातियों पर भी वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार की गई है।
39 प्लांट की की रिपोर्ट
कार्बन सिक्वेशन प्रोजेक्ट इन प्रिजर्वेशन प्लांट के कॉर्डीनेटर सीनियर रिसर्च ऑफिसर डॉ. सचिन दीक्षित ने बताया कि राज्य के 39 प्लाट की रिपोर्ट से तय होगा कि किस क्षेत्र में कौनसी प्रजाति सबसे उपयुक्त है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। इंटर गर्वन्मेटल पैनल कोड फॉर क्लाइमेट चेंज 2006 के अनुसार सन 2100 तक 1.8 से 4 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।
पेड़ों की भूमिका
प्राकृतिक एवं मानवीय हस्तक्षेप से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। पृथ्वी में ईधन के रूप में दबे पदार्थों का खनन और हरियाली की कमी इसका कारण है। प्रकाश संश्लेषण से पेड़ कार्बन अवशोषण करते हैं। सूर्य की उष्मा पृथ्वी पर आती है तो वायुमंडल में कार्बन की परत से रि रेडिएशन की उष्मा बाहर नहीं जा पाती है। इससे पृथ्वी गर्म रहती है और जीवन सुरक्षित। वायुमंडल में कार्बन की मात्रा ज्यादा होने पर अतिरिक्त उष्मा से पृथ्वी गर्म हो रही है।
एक वर्ष कार्बन अवशोषण
पेड़- मात्रा
साल – 0.12
साजा – 0.8
चिरौंजी – 0.11
तेन्दू – 0.6
महुआ- 0.09
बेल- 0.04
आंवला- 0.11
सागौन- 0.07
(गणना टन में)
एक साल में पूरा होगा शोध
एसएफआरई के डायरेक्टर धीरेंद्र वर्मा के अनुसार इस प्रोजेक्ट में मप्र के विभिन्न वनों में प्रजाति वार पेड़ों द्वारा कार्बन डॉई ऑक्साइड अवशोषण की रिपोर्ट आएगी। एक साल में रिसर्च पूरी हो होगी।