जबलपुरPublished: Oct 23, 2019 06:27:16 pm
गोविंदराम ठाकरे
– वैभव लक्ष्मी के मन्त्रों का नियमित जाप से घर में सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य, वैभव, पराक्रम और सफलता का स्थायी वास होता है
lakshmi
जबलपुर। कभी भी जब हमें धन संबंधी परेशानियां जीवन में दस्तक देती हैं, तो बड़े-बुजुर्ग मां लक्ष्मी की आराधना करने की सलाह देते हैं। मां लक्ष्मी, धन की देवी हैं, वे अपने भक्तों की पुकार सुनकर उन्हें आर्थिक सहारा देती हैं। किंतु केवल धन ही नहीं, उन्हें सौभाग्य, वैभव तथा ऐश्वर्य की देवी भी माना गया है। देवी के विभिन्न मंत्रों के जाप से इंसान उपरोक्त सभी लाभ प्राप्त कर सकता है, बस उसमें इसे पाने की इच्छाशक्ति एवं मां के प्रति पूर्ण श्रद्धाभाव होना चाहिए। मां लक्ष्मी के दो वैभव लक्ष्मी मंत्र प्रदान करने जा रहे हैं। इन मंत्रों के नियमित जाप से घर में सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य, वैभव, पराक्रम और सफलता का स्थायी वास होता है। इसके अलावा जो भी इन मंत्रों का रोजाना जाप करता है, उसके घर में बरकत बनी रहती है। रिश्तों में मधुरता बनी रहती है और वह व्यक्ति घर एवं समाज दोनों में सम्मान प्राप्त करता है।
दीपावली के पांच दिवसीय इस दीपोत्सव के अवसर पर लोग विविध प्रकार से पूजन विधान करें सुख समृद्धि और निरोगी काया की प्रार्थना करेंगे। इसकी शुरुआत धनतेरस पर कुबेर और धन्वंतरी भगवान के पूजन से होगी। माता लक्ष्मी के कई रूप हैं। आमतौर पर लोग महालक्ष्मी के रूप में ही इन्हें जानते हैं लेकिन इनके कई रूप हैं जो अलग-अलग कामों में सहायक होते हैं। हमें जब भी व्यवहार और धन संबंधी सुख शांति की कमी होती है। तो हम लक्ष्मी का पूजन करते हैं लेकिन उनका एक दूसरा शुरू हुई है वैभव लक्ष्मी जो यह कार्य पूर्ण करती हैं।
श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र –
यत्राभ्याग वदानमान चरणं प्रक्षालनं भोजनं
सत्सेवां पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम
धान्यांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता तृरूपा प्रिया:
दृष्टां प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:
उपरोक्त मंत्रों का दिन में कम से कम एक बार जाप जरूर करना चाहिए। यदि आप जल्दी ही मां की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार को उपयुक्त दान-पुण्य भी कर सकते हैं। इससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
माता वैभव लक्ष्मी व्रत विधि –
व्रत को शुरु करने से पहले प्रात:काल में शीघ्र उठकर, नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर,. पूरे घर की सफाई कर, घर को गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए। और उसके बाद ईशान कोण की दिशा में माता लक्ष्मी कि चांदी की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए। साथ ही श्री यंत्र भी स्थापित करना चाहिए श्री यंत्र को सामने रख कर उसे प्रणाम करना चाहिए। अष्टलक्ष्मियों का नाम लेते हुए, उन्हें प्रणाम करना चहिए।अष्टलक्ष्मी नाम इस प्रकार है- श्री धनलक्ष्मी व वैभव लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयालक्ष्मी,ऎश्वर्यलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी आदि. इसके पश्चात मंत्र बोलना चाहिए।
मंत्र –
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी ।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी ।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
जो उपवासक मंत्र बोलने में असमर्थ हों, वे इसका अर्थ बोल सकते है।
उपरोक्त मंत्र का अर्थ-
जो लाल कमल में रहती है, जो अपूर्व कांतिवाली है, जो असह्य तेजवाली है, जो पूर्ण रूप से लाल है, जिसने रक्तरूप वस्त्र पहने है, जो भगवान विष्णु को अति प्रिय है, जो लक्ष्मी मन को आनंद देती है, जो समुद्रमंथन से प्रकत हुई है, जो विष्णु भगवान की पत्नी है, जो कमल से जन्मी है और जो अतिशय पूज्य है, वैसी हे लक्ष्मी देवी! आप मेरी रक्षा करें।
इसके बाद पूरे दिन व्रत कर दोपहर के समय चाहें, तो फलाहार करना चाहिए और रात्रि में एक बार भोजन करना चाहिए. सायं काल में सूर्यास्त होने के बाद प्रदोषकाल समय स्थिर लग्न समय में माता लक्ष्मी का व्रत समाप्त करना चाहिए।
पूजा करने के बाद मात वैभव लक्ष्मी जी कि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. व्रत के दिन खीर से माता को भोग लगाना चाहिए. और धूप, दीप, गंध और श्वेत फूलों से माता की पूजा करनी चाहिए। सभी को खीर का प्रसाद बांटकर स्वयं खीर जरूर ग्रहण करनी चाहिए।